For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तोहरे दुआरे मात, खड़े दोउ कर जोरे,

अब तो आप आइके, दरस दिखाइए |

तोहरी शरण आया, तेरा ये कपूत मात,

सेवक को मां अपनी, शरण लगाइए |

इक आस तोरी मात, दूजा को सहाई मोर,

अइसे न आप मोरी, सुधि बिसराइए |

बिपत जो आन पड़ी तुझको पुकारूं मातु,

आप ही अब आइके, पार मा लगाइए |

 

                              - बृजेश नीरज

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on April 23, 2013 at 8:05am

आदरणीय रक्ताले साहब आपका आभार! आपकी संस्तुति ने मेरी हिम्मत बढ़ाई!

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 11:01pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी सादर, बहुत सुन्दर घनाक्षरी नवरात्रि के अवसर पर माता को समर्पित सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:44pm

आदरणीय बागी जी इस सहृदयता से नंबर देने के लिए आपका आभार!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 10:39pm

Ist Division Pass :-))))))

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:31pm

संदीप भाई आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:30pm

आदरणीय बागी जी आपका आभार! इसलिए विशेष तौर पर कि आपके कारण एक और विधा मुझे सीखने को मिली।
आपके कहने का अर्थ मैं यह लगा सकता हूं कि पहली परीक्षा में मैं पास हो गया?

Comment by बृजेश नीरज on April 18, 2013 at 10:28pm

प्राची बहन आपका आभार! आदरणीय बागी जी के निर्देश पर मैंने घनाक्षरी पर प्रयास किया था। लगता है पहले प्रयास में मुझे पासिंग माक्र्स मिल गए।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 10:11pm

बहुत ही सुन्दर घनाक्षरी आदरणीय बृजेश जी सादर बधाई स्वीकारें 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 10:11pm

घानाक्षरी छन्द पर बेहतर प्रयास हुआ है बृजेश भाई, टेक्नीक आपने पकड़ लिया है, यह रचना अच्छी बन पड़ी है, बहुत बहुत बधाई |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 7:55pm

नवरात्र पर माँ को पुकारती सुन्दर घनाक्षरी 

इक आस तोरी मात, दूजा को सहाई मोर,

अइसे न आप मोरी, सुधि बिसराइए |...........बहुत सुन्दर 

हार्दिक बधाई आ० बृजेश कुमार जी 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service