For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नारी तू नहीं है अबला

नारी तू नहीं है अबला
--------------------
नारी तू नहीं है अबला 

है शक्ति  स्वयं पहचान 
खुद  को शोषित  मान  ले 
फिर  कौन  करे  सम्मान 
दूषित  जग  से लड़ना होगा
खुद  ही आगे बढ़ना होगा.

रूप  धार कर  रण  चंडी का 

अधिकार  छीन  लेना होगा 

जगा  आत्म  अभिमान 

नारी तू नहीं है अबला 

है शक्ति  स्वयं पहचान 

क्या क्या नही तुझे  सब कहते 

कैसी  कैसी  फब्ती कसते 

तुझे मूढ़   अज्ञानी  कहते 

दुर्गुण आठ सदा  उर रहते 

सब मिल करते  बदनाम 

नारी तू नहीं है अबला 

है शक्ति  स्वयं पहचान 

पोखर सी ख़ामोशी  क्यों 
सागर सी  तू रह मौन
कर बुलंद अपने को तू 
आकाश झुके पूछे तू कौन
जग के इन झंझावातों में 
तुझको स्वयं संवरना होगा 
अब मत रहना अनजान 
नारी तू नहीं है अबला 

है शक्ति  स्वयं पहचान 

  • प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 965

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 4:45pm

आदरणीया वन्दना जी 

सादर अभिवादन.

स्नेह दिया, आभार,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 4:44pm

आदरणीय विनय जी 

सादर 

आपने होंसला बढ़ाया. 

गीत में बदल दीजिए. 

प्रतीक्षा है ,सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 4:43pm

आदरणीय संदीप जी 

सादर आभार. 

स्नेह बनाये रखिये 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 4:41pm

स्नेही केवल प्रसाद जी 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 4:40pm

आदरणीय ब्रजेश जी 

सादर 

संघर्ष स्वयं ही करना पड़ता है.

आभार समर्थन हेतु सस्नेह. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 14, 2013 at 4:10pm

नारी की स्थिति का उत्थान तब तक संभव नहीं जब तक वो स्वयं की शक्ति को पहचान न ले..

कई नारीवादी संगठन जो महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं, उनका यही कहना है...कि नारी उत्पीडन को जी अपनी ज़िंदगी स्वीकार  कर लेती है, और स्वयं ही पुरुष को अपने से ऊपर का दर्जा देना सही समझती है.... नारी की ही सोच को बदलना सबसे बड़ी चुनौती होती है उनके सामने...

नारी तू नहीं है अबला 
अपनी शक्ति पहचान.... इन शब्दों में नारी के मनोबल को बढाती अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 14, 2013 at 2:21pm

नारी उत्थान को सम्बल देती सुन्दर रचना आदरणीय प्रदीप जी बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 14, 2013 at 1:39pm

सुन्दर रचना। बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by vijayashree on April 14, 2013 at 1:26pm

नारी तू नहीं है अबला
अपनी शक्ति पहचान

 

बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है आपने शब्दों को .....सच तो यही है नारी को स्वयं  ही अपनी शक्ति पहचाननी होगी...तभी उसकी स्थिति में परिवर्तन होगा

Comment by coontee mukerji on April 14, 2013 at 10:33am

जग के इन झंझावातों में
तुझको स्वयं संवरना होगा

यह बात सच है नारी को अपनी ताकत अर्जित कर स्वयम ही अपनी लड़ाई लड़नी है ....लेकिन सबसे  बड़ी  विडम्बना यहीं है कि औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुशमन है .सादर कुंती

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service