For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाक को चेतावनी....छंद कामरूप

यह देख दुनियाँ, खोल अंखियाँ, पाक की करतूत
गोली चलाता, बम गिराता, तानता बन्दूक
ये मान ले तू, जान ले तू, ना रहेंगे मूक
अब तू संभल जा, या बदल जा, कह रहे दो टूक


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 2:32pm
सही कहा आपने आदर्णीय..... कुमारी जी...चरणांत गुरु लघु से होता है .......वेदिका जी इस बात पर ध्यान दीजिएगा.....गलती सुधारने के लिए आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 2:00pm

चरणान्त  गुरु लघु से होता है 

Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:33pm
आदर्णीय वेदिका जी.....इसमे चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण मे 9,7,10 मात्राओं पर यति तथा चरण का अंत लघु गुरु से होता है.....
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:11pm
सादर आभार आपका आदर्णीया..कुमारी जी....मेरी त्रुटियों को उजागर करने के लिए आपका कोटि कोटि आभार ....
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:04pm
आदर्णीया गीतिका जी आपका सादर आभार
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 1:02pm
आदर्णीया... डा.सिंह जी....सादर आभार जो आपने मेरी रचना पढी और उसकी कमी को उजागर किया .... आपका बहुत बहुत धन्यवाद

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 15, 2013 at 12:34pm

आ० मनोज शुक्ला जी,
कामरूप छंद पर चेतावनी देती सुन्दर प्रस्तुति।
अंतर गेयता को भी यति पर तुकांतता रखते हुए बहुत खूबसूरती से साधा है ...इसहेतु हार्दिक बधाई 
अंतिम चरण में //अब तू संभल जा// इस पदांश  की मात्रा १०  हो रही है।आशा है इसे ९ पर साध लेंगे ..
सुन्दर प्रस्तुति पर पुनः बधाई

Comment by वेदिका on April 15, 2013 at 12:22pm
एक पंक्ति में कामरूप छंद की अवधारणा लिख देंगे तो मेरे जैसे नव लेखन को छन्दों का व्याकरण और भी आसान हो जायेगा।
कामरूप छंद पर बधाई स्वीकारें आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 10:33am

कामरूप छंद पर अच्छा प्रयास किया है उत्कृष्ट भाव हैं बधाई।  कुछ त्रुटियाँ हैं जो सुधार चाहती हैं ----दुनिया में  चंद्रबिंदु नहीं आता 

अब तू संभल जा---में मात्रा पुनः जांच लें प्रयास रत रहें शनै शनै सुधार आता जाएगा हार्दिक बधाई 
Comment by manoj shukla on April 15, 2013 at 10:14am
आदर्णीय अशोक जी सराहना के लिए हार्दिक आभार....बहुत बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service