For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये आनन्द चीज क्या कैसा??

ये आनन्द चीज क्या कैसा??

 

ये आनन्द चीज क्या कैसा क्या इसकी परिभाषा

भाये इसको कौन कहाँ पर कौन इसे है पाता

उलझन बेसब्री में मानव जो सुकून कुछ पाए

शान्ति अगर वो पा ले पल भर जी आनंद समाये

सूनी कोख  मरुस्थल सी माँ पल-पल घुट-घुट जो मरती

शिशु का रोना हंसना उर भर क्रीड़ानंद वो करती

रंक  कहीं भूखा व्याकुल जो क्षुधा पिपासा जाए

देता जो प्रभु सम  वो लागे जी आनंद समाये

पैमाना धन का है अद्भुत क्या कुछ किसे बनाये

कहीं अभागन बेटी जन्मे कुछ लक्ष्मी कहलायें

प्रीति  प्रेम सम्मान अगर जीवन भर बेटी पाए

हो आनंद संग बेटी के मात -पिता हरषाए

गोरा वर गोरी को खोजे काला  कोई गोरी

गुणी छोड़ कुछ वर्ण रंग धन बड़े यहाँ हत  भोगी

प्रेम कहीं कुछ शीर्ष चढ़े तो नीच ऊँच  ना रंग

हो आनंद जमाना दुश्मन अजब गजब दुनिया का रंग

कहीं नशे में ऐंठ रहे कुछ नशा अगर पा जाएँ

धन्य स्वर्ग में उड़ते फिरते जी आनंद समाये

मै  मकरंद मधू आनंद कवि -कविता में पाए

लोभी मोही  धन में डूबे धन आनंद में मरते

वहीं ऋषी मुनि दान दिए सब मोक्षानंद में फिरते

मेरा तेरा इनका उनका अलग -अलग आनंद

जो आनंद मिले तो पूछूं उसकी क्या है पसन्द

सबका है आनंद अलग तो इसका भी कुछ होगा

गुण-प्रतिभा ये दया स्नेह या आनंद धन में  होगा

 

भ्रमर 5 , 22.03.2013

2.15-3.20 मध्याह्न शाहजहांपुर-बरेली लौहपथगामिनी में

 

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on April 9, 2013 at 10:11am

शुक्ला जी ,आनंद के साथ मन की वेदना भी झलकती है .इंसान तो वहीं जो दुसरे की पीड़ा समझे.बहुत सुंदर .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 10:06am

आदरणीय शुक्ला ’भ्रमर’ जी, आनन्द नन्द तू घनानन्द चहुं ओर वृन्द सुख राशि भरा...तुम अतुलित ज्ञान प्रकाश घनानन्द न यहि के बिन आनन्द जरा।। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Abhilash Pandey is now a member of Open Books Online
42 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
14 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
19 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service