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ओबीओ  परिवार सम,  शारद  के  सब भक्त 

’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त

भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है

नदिया  धारे   धार,   जिये  नित  परिवर्तन है

तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो--

बहती   नदिया   मौन,  कहे  सबसे   ओबीओ..  .

ओबीओ के प्रादुर्भाव का पावन दिवस सभी सदस्यों और शुभचिंतकों के लिए मंगलमय हो.. .  हम समवेत सीखें .. ..

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Comment by अरुन 'अनन्त' on April 1, 2013 at 1:25pm

आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम, कोमल शब्दों से सुसज्जित सुन्दर मनभावन कुण्डलिया छंद ओ बी ओ के प्रादुर्भाव दिवस पर बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने, जहाँ एक ओर ओ बी ओ मंच आपकी कुण्डलिया से सुशोभित हो रहा है वहीँ दूसरी ओर सदस्त सदस्यों / पाठकों एवं शुभ चिंतकों के प्रति अपार स्नेह और प्रेम को भी दर्शा रहा है यह छंद, ओ बी ओ की तीसरी वर्षगांठ हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by shikha kaushik on April 1, 2013 at 1:20pm

 सुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 1, 2013 at 12:59pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, कुण्डलिया की पंक्ति दर पंक्ति ओ बी ओ के सुरम्य वातावरण को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने. सच है ओ बी ओ का मंच सभी के लिए सीखने सिखाने का सुन्दर अवसर है. ओ बी ओ की तीसरी वर्षगाँठ पर सादर बधाई.

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