For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिम शिखर से तू आती हो
गंगा सागर तक जाती हो
सारी नदियाँ तुमसे मिलकर
गंगा बन आगे बढ़ती है
                 गंगा तू सुखदायिनी
स्वर्गलोक से पाप हरने
धरती पर तू सतत बहने
सगर पुत्रों को मोक्ष देने
शिव जटा  से आयी हो
               गंगा तू मोक्ष दायिनी
जड़ी बूटी तू साथ लिए
कल -कल छल -छल बहती हो
जाति -धर्म का भेद न जाने
तत्पर पल -पल रहती हो
               गंगा तू आनंद दायिनी
दूर करो माँ कटुता पशुता
भर आयी जो जन -जन में
तेरे जल से अर्पण -तर्पण
प्रेम भरो माँ  तन -मन में
               गंगा तू जीवन दायिनी
माफ़ करो मुझ कलिपुत्र को
पत्थर रख प्रवाह अवरूध किया
लोभ मूढता स्वार्थ वशीभूत
तेरे जल को अशुद्ध किया
               गंगा तू अन्न दायिनी
शहर बसी है तेरे तट पर
अन्न जल रोजगार दिया
शहरवासी के कचड़े ने
खुद को ही शर्मसार किया
                गंगा तू क्षमा दायिनी
भीष्म भागीरथ याद  कर, माँ तुझे शत -शत नमन
विश्व विजयी भारत बने , माँ तुझे शत -शत नमन
               
                     शुभ्रा शर्मा  

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shubhra sharma on July 30, 2013 at 10:10am

आदरणीय योगी सारस्वत जी , बिलकुल सही कहा है आपने , बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by Yogi Saraswat on March 19, 2013 at 2:48pm

जड़ी बूटी तू साथ लिए
कल -कल छल -छल बहती हो
जाति -धर्म का भेद न जाने
तत्पर पल -पल रहती हो
               गंगा तू आनंद दायिनी
दूर करो माँ कटुता पशुता
भर आयी जो जन -जन में
तेरे जल से अर्पण -तर्पण
प्रेम भरो माँ  तन -मन में
               गंगा तू जीवन दायिनी

इस जीवन दयानी गंगा को हम अब जीवन लेने वाली बना देने पर उतारू हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
17 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service