For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- आग पानी है


ग़ज़ल :- आग पानी है

मुफलिसी में अब कहाँ है ज़िंदगी
आग पानी है धुआं है ज़िंदगी |


गिरते पड़ते भागते फिरते सभी
यूं लगे अँधा कुआं है ज़िंदगी |


हम जड़ों से दूर गुलदस्ते में हैं
गाँव का खाली मकां है ज़िंदगी |


अब तो हर एहसास की कीमत है तय
कारोबारी हम दुकाँ है ज़िंदगी

एक फक्कड़ की मलंगी देखकर
हमने जाना की कहाँ है ज़िंदगी |


हर कोई है दफ्न अपने ताज में
हर किसी की शा-जहाँ है ज़िंदगी |


जिनकी किस्मत थी हुए जन्नतनशीं
हादसों का कारवां है ज़िंदगी |

Views: 400

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on November 29, 2010 at 3:54pm
आप सबको ये शेर पसंद आये मेरा प्रयास सार्थक हुआ धन्यवाद कहता हूँ एक रचनाकार को दाद हौसला देती है |शेष जी ,विवेक जी ,राणा जी ,और बागी जी शुक्रिया |स्नेह बनाये रखियेगा |
Comment by विवेक मिश्र on November 17, 2010 at 12:30am
/हम जड़ों से दूर गुलदस्ते में हैं
गाँव का खाली मकां है ज़िंदगी/
बेहद उम्दा ख्याल है अरुण भाई. दाद कबूल करें.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 16, 2010 at 10:10pm
क्या बात है .....जिंदगी के इतने सारे रंगों से मिलकर एक मास्टरपीस बन गया है||

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2010 at 9:49pm
एक फक्कड़ की मलंगी देखकर
हमने जाना की कहाँ है ज़िंदगी |

वाह अरुण भाई , यह भी ग़ज़ल कमाल की कही है आपने, आपके फक्कड़ वाला शे'र भी जबरदस्त है | दाद देता हूँ |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post पूजा बता रहे हैं
"आ0 अखिलेश  कृष्ण  श्रीवास्तव  जी, पटल पर आपकी अधूरी प्रतिक्रिया देख पा रही हूँ। जो…"
yesterday
Usha Awasthi posted a blog post

पूजा बता रहे हैं

पूजा बता रहे हैं उषा अवस्थीपाले हैं,यौन कुंठापूजा बता रहे हैंन जाने ऐसे लोग किस राह जा रहे हैं?रचते…See More
yesterday
Euphonic Amit commented on Samar kabeer's blog post 'वतन को आग लगाने की चाल किसकी है'
"बिहतरीन ग़ज़ल आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम। वाहह वाह। सादर चरण स्पर्श "
Wednesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"सुनन्दरम।"
Tuesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Monday
दिनेश कुमार posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Dec 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
Dec 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
Nov 30

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई, शैली कोई भी हो किन्तु मेरे विचार से कथा तो होनी चाहिए न । डायरी शैली में यह प्रयास हुआ है ।"
Nov 30

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service