For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब से पत्थर खाता है वो दीवाना.
फिर भी सच सुनाता है वो दीवाना.

क्यूं सपनों में आता है वो दीवाना,
दिल को क्यूं तड़पाता है वो दीवाना.

दीवाली तो साल बाद ही आती है,
पर हर रोज़ मनाता है वो दीवाना.

लड़ता है हर रोज़ वो जंग अंधेरों से,
हर पल दीप जलाता है वो दीवाना.

तूफां में चिराग जलाता हो जैसे,
प्यार के गीत सुनाता है वो दीवाना.

यादों की खुद आग लगाता है हर रोज़,
फिर उसमें जल जाता है वो दीवाना.

धोखा मुझको दुनिया से कई बार मिला,
बार बार ये गाता है वो दीवाना.

ये दीवानापन तो अच्छी बात नहीं,
मुझको यह समझाता है वो दीवाना.

बार बार करता है बात मोहब्बत की,
खुद ही दर्द जगाता है वो दीवाना.

याद तो उसकी आती है हर रोज़ मुझे,
कभी कभी खुद आता है वो दीवाना.

बेशक दिल तड़पाता है वो दीवाना,
फिर भी दिल को भाता है वो दीवाना.

यूं तो नज़रें बहुत मिलाता है लेकिन,
मिलने से शर्माता है वो दीवाना.

मूंह से तो कुछ कहता नहीं मगर मन में,
तेरे गीत ही गाता है वो दीवाना.

--रेक्टर कथूरिया (लुधियाना)

Views: 266

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 14, 2010 at 8:33am
यादों की खुद आग लगाता है हर रोज़,
फिर उसमें जल जाता है वो दीवाना.

वाह!!! इसे कहते हैं असली दीवानगी, कमाल के ख्याल..सुन्दर ग़ज़ल|
Comment by आशीष यादव on November 12, 2010 at 6:55am
Diwanepan ko anuthe andaj me prastut kiya aapne. Khubsurat ghazal ya ise nazm bhi kahe to thik rahega. Aap ka kya khayal hai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
1 hour ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service