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माँ..
मैं परिणाम तुम्हारे त्यागों का
वरदान तेरे संघर्षों का
सम्मान तुम्हारे भावों का
निष्कर्ष तेरे कर्तव्यों का
कोरी है रसना की परिपाटी,
क्या शब्द बुनूं तेरी ममता में...
तेरे,
संघर्षों से अस्तित्व मिला
तेरे भावों से उर प्रेम खिला
कर्तव्यों से पथ-दर्श मिला
कुछ यूं हि मुझे आकार मिला,
क्या प्रतिफल दूं तेरी ममता में...
तूने,
सृजन किया है दृढ़ता से
पर पाला अति कोमलता से
मोह त्यागकर ममता से
खुद जल,सींचा शीतलता से
बंजर है मेरा हृदय क्षेत्र,
क्या भाव गढ़ूं तेरी ममता मे...
सम्भव है, पृथक रहूं मैं तन से
दायित्व बंधें हैं जो जीवन से
संस्कार पौध रोपी जो तूने
प्रसून बिखेरेगी जग-उपवन में
प्रीति-मेघ की बौछारों के
दो 'विन्दु' समर्पित तेरी ममता में...
-विन्दु
(अप्रकाशित)

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Comment by Meena Pathak on February 22, 2013 at 12:53pm

माँ से ही तो हमारा आस्तित्व है .. बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 22, 2013 at 12:03pm

marmsparshi rachana badhai vandna ji

Comment by Vindu Babu on February 21, 2013 at 11:27pm
सादर आभार आदरणीय सुहृदयों!
आपकी प्रतिक्रिया हमारा सम्बल है.
माँ.. के अतुल्य प्रेम की सुगन्ध(जो मेरा जीवन-पथ सुगन्धित कर रही है) से जन-जन से साझा करना चाहती हूं...
सस्नेह नमन!
Comment by वेदिका on February 21, 2013 at 11:03pm

आदरणीया वंदना जी!

 माँ ने जो भी हमारे लिए किया ..हम नम हो जाते है उसको लिखते समय ..सोचते समय  क्या शब्द बुनूं तेरी ममता में...

सृजन किया है दृढ़ता से
पर पाला अति कोमलता से
मोह त्यागकर ममता से
 खुद जल,सींचा शीतलता से

ये भी सच है की संतान कभी अपनी माँ के ऋण से ऊ ऋण नही हो सकती .. लेकिन उनका भाव, प्रेम और त्याग भी तभी समझ सकती है जब वस खुद माँ बने बाप बने . क्या भाव गढ़ूं तेरी ममता मे... .

फिर भी माँ का पद सबसे महान  है 

मैं परिणाम तुम्हारे त्यागों का
वरदान तेरे संघर्षों का
सम्मान तुम्हारे भावों का
निष्कर्ष तेरे कर्तव्यों का

सादर वेदिका 

Comment by ram shiromani pathak on February 21, 2013 at 7:34pm

आदरणीया ...सादर अभिवादन

माँ की  ममता, त्याग ,अपनापन ....बिना शर्त का प्रेम ,इन सब का कर्ज कोई नही उतार सकता |

माँ अदभुत हैं ,माँ इस पृथ्वी पर साक्षात् ईश्वर हैं |

हर माँ को नमन

Comment by vijay nikore on February 21, 2013 at 10:25am

आदरणीया वंदना जी:

 

माँ के प्रति कोमल भावनाओं को इतनी

मार्मिक्ता से साक्षात करने के लिए

साधुवाद!

 

विजय निकोर

Comment by ajay yadav on February 21, 2013 at 9:33am

आदरणीया ...सादर अभिवादन

माँ की  ममता, त्याग ,अपनापन ....बिना शर्त का प्रेम ,इन सब का कर्ज कोई नही उतार सकता |

माँ अदभुत हैं ,माँ इस पृथ्वी पर साक्षात् ईश्वर हैं |

हर माँ को नमन और शुभकामनाएँ  !

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