For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लाल गुलाब और पहली डेटिंग [एक ज्ञान वर्धक कथा }

स्नेहा सिंघानिया मेरी फेसबुक मित्र थी, उनसे फेसबुक पर चैटिंग करते दो बरस बीत गयें थे, वह बहुत ही सकारात्मक व्यक्ति थी, मैं काफी दिनों से उनसे कुछ अच्छा सीखने की उम्मीद कर रहा था और मिलने का आग्रह भी | आज इलाहाबाद का यमुना तट, सरस्वती घाट और हजारो जलती रोशनियां हमारी पहली डेटिंग के गवाह बनने वाले थे | मैं अपनी आदत के मुताबिक तयशुदा समय से पहले ही आ गया था | हेलों पढ़ाकू ! सुनकर मैं चौका, वह इसी नाम से मुझे चैटिंग के दौरान संबोधित करती थी | आवाज की दिशा में मैं मुड़ा तो काले रंग का महंगा सूट पहने एक बेहद खूबसूरत लड़की को अपनी ओर आते देखा, यह स्नेहा थीं ..आँखों में चमक ... चेहरे पर ओज लालिमा थी व त्वचा दमक रहीं थी | सुंदर घने काले बालों का गुच्छा उनके चेहरे पर चार चाँद  लगा रहा था | उस खुबसूरत लड़की कि उपस्थिति ने जैसे पुरे कायनात की गतिविधियो को रोक दिया हों |

पढ़ाकू ! आज हमारी पहली डेटिंग हैं जिसे हमे यादगार बनाना हैं, मैंने कहा, "बिल्कुल ! आओ तुम्हे फुलकी {पानीपूरी} खिलाऊ" | नही खाती मैं यह सब, कहकर स्नेहा ने अधिकार पूर्वक ढंग से मेरा हाथ पकड कर सीढ़ियों कि ओर चल पड़ी, सीढ़ियों पर चलते चलते अचानक वह रुक गयी और उसने अपने जेब से एक लाल खुबसूरत गुलाब निकाला और मेरी तरफ बढा दिया .. मैं हतप्रभ था, एक खूबसूरत लड़की से इसकी आशा इतनी जल्दी नही कर सका था | उसने कहा, “इस पुष्प के केन्द्र/हृदय में टकटकी लगाकर देखो, यह लाल पुष्प जीवन की तरह हैं | इसको पाने के लिए तुम्हे राहों में काटें मिलेंगे किन्तु ध्यान रहे, तुम फूलो की  तलाश में निकले हों, यदि तुम्हे अपने सपनो पर भरोसा व विश्वास हैं तो तुम कांटो से आगे बढकर फूलो का बैभव प्राप्त कर लोंगे | इसका रंग, बनावट ...डिजाईन ध्यान पूर्वक देखो | इसकी सुगंध का रसपान करों और जो आश्चर्य जनक चीज तुम्हारे सामने हैं सिर्फ उसी के विषय में सोंचो, इसी तरह से तुम रोज एक गुलाब का पुष्प लेकर मस्तिष्क को शक्तिशाली व अनुशासित बना संकोंगे” |

मैं उस परी के गुलाबी होंठो से ज्ञान गंगा फूटते देखता रहा, मैं अब भी पूरी तरह से उसके सौंदर्य के प्रभाव में था | पढ़ाकू ! तुम्हारे लिए परिवर्तनशील संभावनाओं से संपन्न जीवन जीने के लिए अपनी क्षमताओं के प्रति मस्तिष्क  को सजग रखना होंगा और इसके लिए ढृढ़ इरादा करना होंगा ...क्या मतलब ? आओ घाट पर चलते हैं, मैं जैसा करती हूँ तुम जब आवश्यक समझना तभी विरोध करना, अपना दिमाग खाली रखो, यदि मुझ पर विश्वास हों और कुछ सीखना हों तो, मैंने सहमती में सिर हिला दिया ..घाट के पास पहुँचते ही, जल के आचमन के बाद उसने मेरा सिर पानी में डुबो दिया मैं हतप्रभ किन्तु मैंने उसे ऐसा करने दिया तबतक जबतक कि मेरी सांस नही टूटने लगी ..मैंने एक झटके से सिर बाहर निकाला और जोर जोर से साँसे लेने लग पड़ा |

तुमको अब पता चल गया होंगा कि सांस लेने के लिए तुम्हारा इरादा १००% पक्का हैं | इस पर ध्यान दों की तुम सांस न लेने के लिए कोई बहाना नही बनाओंगे, ध्यान दो कि तुम सांस लेने के लिए कोई प्रेरणा का इन्तजार नही करोंगे, ध्यान दो की तुम साँस लेने की अपनी इच्छा को सही ठहराने कि जरूरत नही महसूस कर रहें होंगे, तुम केवल साँस लोंगे |

यही बात तुम सीधे सीधे नही कह सकती, क्या पानी में डुबोना जरुरी था? मैंने कहा तो उसने जवाब दिया ..हाँ डियर ! तुम्हे सही तरह से समझाना जो था |

पक्के इरादे का मतलब हैं - कार्यवाही करना,

कोई बहाना नही, कोई लंबी चौड़ी जांच परख नही, यह कितना कठिन हैं, इसकी कोई चिंता नही, कोई डर कर पीछे हटना नही, केवल और केवल आगे ही बढ़ना....

क्या होंगा अगर कोई तुम्हे, तुम्हारे पक्के इरादे से रोंके ?

म्मम्मम.......

क्या होंगा अगर कोई तुम्हे साँस लेने से रोंके ?

मैं उस दुष्चक्र को तोड़ दूँगा, मैंने कहा, “जीवन का उद्देश्य ही उदेश्य पूर्ण जीवन हैं” |

स्नेहा के साथ साथ चलते चलते अब हम नए यमुना पुल पर आ चुके थे नीचे शांत, धीर, गंभीर असीम सौंदर्यवती यमुना जी करोडो प्रकाश पिंडो की रौशनी में पुलकित किन्तु ध्यान मग्न थी | स्नेहा ने मेरा हाथ धीरे से पकड़ा और बोलीं, “तुम्हारे जैसे सकारात्मक चिंतक के साथ मेरी पहली डेटिंग हैं डियर, तुम बहुत हैंडसम हों वह तब तक इसी तरह से बोलती गयी जब तक मेरे गाल सुर्ख नही हों गए ..ठंडी हवाए स्लो मोशन में छू छू कर निकल रहीं थी अंतर्मन पुलकित और रोमांचित था ...मैंने कहा, “आज का यह समय जो हम और तुम साथ साथ बिता रहें हैं एक उपहार हैं मेरे लिए” |

देखो पढाकू मस्तिष्क एक उपजाऊ जमींन की तरह हैं और यह फले फूले इसके लिए तुम्हे इसका प्रतिदिन पोषण करना चाहिए, अपवित्र विचारों और कार्यों की जंगली घास को अपने मस्तिष्क में मत जमने दों ! अपने मस्तिष्क के द्वार पर पहरा दों | इसको स्वास्थ्य एवं मजबूत रखों | यह तुम्हारे जीवन में अलौकिक कार्य करेंगा |

यह कहकर स्नेहा मेरे करीब आ गयी ..मधुर मुस्कान के साथ अपलक मेरे आँखों में झाकने लगीं वह एक शब्द भी नही बोल रहीं थी बस पूरी तल्लीनता से आँखों में ही झांके जा रही थी, कुछ ही पलों में मुझे ऐसा लगा की मेरा हृदय कमल खिल रहा हैं, पल्लवित हों रहा हैं |मुझे उसी तरह के सुख और सुरक्षा का एहसास हुआ जैसे  बचपन में माँ के स्नेह पूर्वक आलिंगन से होता था | सीधे मेरे हृदय से आवाज़ आई .”स्नेहा क्या देख रहीं हों ? बड़ा अनोखा अनुभव हों रहा हैं” ,.! डियर मैं तुम्हे अपना प्रेम भेज रही हूँ, एक मानव के रूप में तुम्हारी एक एक बात के लिए ..मेरा हृदय तुम्हारे हृदय से सीधे बात कर रहा हैं |

तुम्हारे लिए पढ़ाकू..यह मेरा सबसे बड़ा उपहार हैं, यह कहकर नम आँखों से, स्नेहा ने मुझे चूम लिया | देखो पढ़ाकू इस दुनिया को तुम जैसे जिम्मेदार, समझदार और स्नेही लोगों कि बड़ी आवश्यकता हैं डियर, हम सभी यहाँ पर किसी विशेष उदेश्य से आये हैं, अपने हृदय के अनुसार जियो यह कभी झूठ नही बोलता | जोसेफ कैम्पबेल ने कहा हैं, “अगर तुम अपने हृदय के परमानंद का अनुसरण करते हों तो ऐसा करके तुम स्वयम को ऐसे मार्ग पर ले जाते हों, जो हमेशा तुम्हारी प्रतीक्षा करता रहा हैं और फिर तुम्हारा जीवन विल्कुल वैसा ही हों जाता हैं जैसा वास्तव में होना चाहिए | उस स्थिति में तुम्हे ऐसे लोग मिलने लगते हैं, जो तुम्हारे परमानंद के क्षेत्र में होते हैं और फिर से तुम्हारे लिए अपना दरवाजा खोल देते हैं” |

वाह ! क्या बात हैं, मैंने कहा |

देखो डियर भौतिक विज्ञानं के अनुसार, यह 3D ब्रम्हांड हैं, यानी यहाँ हम जो कुछ भी बाहर निकालते हैं, वों वापस आ जाता हैं, अगर हम सकारात्मक सोचते हैं तो सकारात्मकता आती हैं और इसका उल्टा भी उतना ही सत्य हैं | इस ब्रम्हांड का निर्माण द्रव्य और उर्जा से ही हुआ हैं | हमारी सोच भी एक उर्जा हैं, विचार को शक्तिशाली जीवित वस्तुए समझो, ये भौतिक सन्देश वाहक हैं जिन्हें हम अपनी भौतिक दुनिया को प्रभावित करने के लिए भेजते हैं और सामान वस्तुए एक दूसरे कि ओर आकर्षित होती हैं | तुम्हारे विचार चुम्बक हैं जो सामान गुणधर्म वाली वस्तुओ को उसी तरह आकर्षित करती हैं जैसे सामान गति से कम्पन्न करने वाली वस्तुए एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती हैं |

फेसबुक में चैटिंग के दौरान तुम सुबह कुछ लिखने जैसा कह रही थी ..यह क्या हैं ? मैंने अधीरता से पूछा |

पढ़ाकू तुम रोज सुबह ५ प्रश्नों के उत्तर लिखो, फिर देखो, आँखे मटकाती वह बोली ! क्या मतलब क्या ....कक्क क्या ?

इससे तुम्हे व्यापक सफलता मिलेंगी |

पहला प्रश्न हैं, अगर पता चल जाये कि यह मेरे जीवन का अंतिम दिन हैं तो मैं इसे किस प्रकार से बिताऊंगा ? दोस्तों पड़ोसियों रिश्तेदारों आदि के प्रति कैसा व्यवहार करूँगा ?

और खुद के प्रति ? मैंने पूछा |

अपने सर्वोत्तम गुणों वाले नायक के साथ जैसा व्यवहार करते डियर, वैसा खुद के साथ हमेशा व्यवहार किया करों |

दूसरा प्रश्न हैं, जीवन में मुझे किसके प्रति कृतग्य होना चाहिए ?

मैंने कहा, “कृतज्ञता जीवन में अच्छी चीजों को कई गुना बढ़ाने का सर्वोत्तम तरीका हैं”?

तीसरा प्रश्न हैं, अपने जीवन को विशिष्ट /असाधारण बनाने के लिए कौन सा कार्य आज मैं कर सकता हूँ ?

चौथा, आज मैं किसी जरूरत मंद कि मदद कैसे कर सकता हूँ ?

और पांचवा, आज के दिन को उल्लास/आनंद के साथ जीते हुए हर पल को उत्सव में कैसे बदल सकता हूँ ?

ध्यान रखो, तुम्हारा  I CAN  तुम्हारे I.Q. से अधिक महत्वपूर्ण हैं |

रात्री के ९ बज चुके थे हम वापस  अपनी कारों कि तरफ बढ़ रहे थे | हाथ मिलाने के लिए उसने हाथ बढ़ाया तो मैंने उसका हाथ धीरे से दबा दिया और कहा, एक चीनी कहावत याद आ रहीं हैं,

बोलो डियर ......!.

मैंने कहा, “जो हाथ तुम्हे गुलाब के फूल प्रदान करते हैं उनमे थोड़ी सुगंध हमेशा लगी रह जाती हैं”|

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on August 11, 2016 at 11:25am

 

 बहुत सुंदर कहानी

डेटिंग जो जीवन का अर्थ समझ गई।

Comment by Priyanka singh on July 21, 2013 at 10:28pm

गज़ब बहुत  बढ़िया ......बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 3:08am

आज पुनः इस कथा को पढ़ गया. बहुत सुन्दर . ..! कथ्य को थोड़ा कस कर रखें.

एक उम्मीद जगी है आपसे.

बधाई.. .

Comment by ajay yadav on February 20, 2013 at 10:13pm

श्री सौरभ पांडेय जी ,

सादर प्रणाम |

आशीर्वाद के लिए बहुत बहुत आभार |

Comment by ajay yadav on February 20, 2013 at 10:10pm

आदरणीय श्री बागी जी ,सादर प्रणाम |

ओपन बुक आनलाईन का सदस्य बनने के कई महीनो तक मैं अपने निजी ब्लॉग पर ही फोकस रहा था, पर ओपन बुक की रचनाओं /कवियों /मित्रों {कम से कम ३० ब्लोगर मित्र यहाँ पर हैं } ने मुझे बहुत पहले से बहुत कुछ सिखाया हैं, कहूँ तो यह मेरा गुरुकुल हैं | मैंने यह कहानी जल्दी में लिखी हैं ......अभी मैं छोटा बच्चा ही हूँ और मुझे आप सब के सानिध्य में,आप सब के संरक्षण में बहुत कुछ सीखना हैं,सीखते जाना हैं ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 20, 2013 at 8:53pm

आदरणीय अजय जी, सही कहूँ तो कहानी की प्रस्तुति देख (पहले कई रंग में टाइप थी) कर लगा कि कोई नया लड़का बस यूँ ही कुछ लिख दिया होगा, किन्तु जैसे जैसे पढ़ता गया मैं इस कहानी में उतरता गया और दंग हो गया यह देख कर कि कहानी बहुत उच्च स्तर की है, जिस दार्शनिक अंदाज पर इस कहानी को सृजित की गई है वो देखते ही बनता है, हां जरा यह अजीब लगा कि नायिका का व्यवहार और संवाद किसी प्रौढ़ महिला जैसा है और नायक किसी टीनेजर की तरह ।

कुल मिलाकर अच्छी कहानी, लेखक को बहुत बहुत बधाई ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 20, 2013 at 8:51pm

भाई अजय जी, आपकी इस विशिष्ट रचना को अभी-अभी देख रहा हूँ. इस पर इत्मिनान से बातें करूँगा. आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है. बहरहाल, इस प्रस्तुति पर हृदय से बधाई लें.

Comment by ajay yadav on February 19, 2013 at 11:20pm

शुक्रिया श्री राम शिरोमणी पाठक जी ,

Comment by ram shiromani pathak on February 19, 2013 at 9:37pm

|जोसेफ कैम्पबेल ने कहा हैं “अगर तुम अपने हृदय के परमानंद का अनुसरण करते हों तो ऐसा करके तुम स्वयम को ऐसे मार्ग पर ले जाते हों ,जो हमेशा तुम्हारी प्रतीक्षा करता  रहा हैं और फिर तुम्हारा जीवन विल्कुल वैसा ही हों जाता हैं जैसा वास्तव में होना चाहिए |उस स्थिति में तुम्हे ऐसे लोग मिलने लगते हैं ,जो तुम्हारे परमानंद के क्षेत्र में होते हैं और फिर से तुम्हारे लिए अपना दरवाजा खोल देते हैं”|

ज़ोरदार डेटिंग हुए मित्र.......ज्ञानवर्धक ...वाह वाह 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service