For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये था मेरा भी एक गुनाह ....

आज मैं जिस परिस्थिति में हूँ वहां पर खुद को एक दोषी के रूप में देख रहा हूँ ! मेरे पेट में दर्द बढ़ रहा है ! हस्पताल वाले मुझे सांत्वना दे रहे हैं कि आप चिंता न करिए अभी थोड़ी देर में ही आपका ऑपरेशन हो जायेगा और आप सही सलामत हो जायेंगे ! मैं उनको कह रहा हूँ की मुझे ऑपरेशन से बहुत डर लग रहा है ! तभी एक नर्स ने मुझे बताया कि डरने की कोई बात नहीं है आपका ऑपरेशन निशा शर्मा करेंगी जो की जानी - मानी डॉक्टर हैं ! उनके आज तक सभी ऑपरेशन सफल हुए हैं ! ये नाम सुनकर ही मेरे होश उद्द गए और मैं अपने अतीत में चला गया !

निशा कोई और नहीं मेरी ही संतान थी लेकिन मैं बेटे की चाह में अँधा हो गया था और मैंने अपनी पत्नी मनीषा और बेटी निशा को घर से बाहर निकाल दिया था ! क्यूंकि मेरी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया था और अब वो दुबारा माँ नहीं बन सकती थी ! मैंने दूसरी शादी कर ली थी और दूसरी पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया ! आज वही बेटा मुझे यहाँ हस्पताल में देखने तक नहीं आया क्या पता कहाँ किस जेल में बंद होगा क्यूंकि मेरा बेटा गलत संगत में पड़ गया और गलत काम करने लगा ! मेरा नाम रौशन करने की जगह मिटटी  में मिला दिया ! जिसे मैं कुल का दीपक समझ रहा था आज उसी ने कुल की लाज को जलाकर राख कर दिया !

मैं ये सब सोच ही रहा था की डॉक्टर यानि निशा ने कमरे में प्रवेश किया और कहा कि अभी हम आपका ऑपरेशन करेंगे और आप बिलकुल ठीक हो जायेंगे ! आप चिंता ना कीजिये ! मैं चुपचाप उसकी तरफ देखता रहा कैसे कहता कि मैं तो तुम्हारा गुनाहगार हूँ और आज तुम ही मुझे जीवन दान दोगी ! मैं अन्दर ही अन्दर शर्म और आत्म गल्लानी में डूबा हुआ था ! मुझे O.T में शिफ्ट कर दिया नर्स ने मुझे इंजेक्शन दिया जिसका असर हो रहा था धीरे धीरे मैं सुन्न हो गया और निशा अपनी टीम के साथ मेरा ऑपरेशन करने लगी ! मुझे नींद आ गयी थी और मैं सो गया था !

जब मैं जगा तो देखा की मेरा दर्द बिलकुल गायब है ! मेरी दूसरी पत्नी बाहर बैठी है ! मेरी नज़रें किसी को खोज रही हैं ! तभी एक नर्स ने कमरे में प्रवेश किया और पूछा की आप अभी कैसा महसूस कर रहे हैं ? और मैंने सोचते हुए ही जवाब दिया कि मैं शर्मसार हुआ जा रहा हूँ ! नर्स चौकते हुए बोली कि माफ़ कीजियेगा सर मैं कुछ समझी नहीं ! तभी मेरा ध्यान भंग हुआ ! मैंने कहा की मैं अभी बिलकुल ठीक हूँ ! मुझे कब तक यहाँ रहना होगा ? नर्स बोली की बस जैसे ही डॉक्टर निशा आ जाये और वो आपका चेक अप कर ले फिर हम आपको डिस्चार्ज कर देंगे !

करीब एक घंटे बाद डॉक्टर निशा आई और उसने बड़े ही प्यार से पूछा की अभी आप कैसा महसूस कर रहे हैं ? मैंने कहा - मैं अभी ठीक हूँ ! लेकिन मुझे अब सीने में एक बोझ सा महसूस हो रहा है ! निशा ने कहा - आप ज्यादा मत सोचिये और अच्छे से अपना ध्यान रखिये आपको कोई भी तकलीफ हो तो आप मुझे कभी भी फोन कर सकते हैं और उसने अपना कार्ड मुझे थमा दिया ! मैंने निशा को रोकते हुए कहा - मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ क्या तुम मुझे माफ़ कर सकती हो ? निशा चौंक गयी और बोली कि ये आप क्या कह रहे हैं ?

मैंने कहा - हाँ बेटी ! मैं ही तुम्हारा अभागा बाप हूँ जिसने तुमको और तुम्हारी माँ को घर से सिर्फ इसीलिए निकाल दिया की उसने तुम्हे पैदा किया ! और मैं तो बेटा चाहता था !

निशा ने मेरी तरफ देखा और कहा - अच्छा तो आप हैं ! लेकिन मैं आपका शुक्र अदा करती हूँ की आपने मुझे और मेरी माँ को घर से निकाल दिया ! क्यूंकि जब मुझे पता चला कि मेरी माँ से उसका घर सिर्फ इसीलिए छूटा है की उन्होंने मुझे जन्म दिया था तो मैंने उसी दिन ठान लिया था कि मैं अपने पैरों पर खड़ी होउंगी और एक दिन आपसे जरुर मिलूंगी तब शायद आपको अहसास हो की बेटी भी एक पिता का नाम रौशन कर सकती है ! लेकिन देखिये समय ने ही आपको मुझसे मिला दिया ! मेरी माँ ने मुझे बेटा बनाकर ही पाला है और मैं अपनी माँ के प्रति बेटे का हर फ़र्ज़ पूरा करुँगी !

मैं पहले ही शर्म से झुका जा रहा था अब क्या कहूँ ! धन्यवाद भी किन शब्दों से और किस मुंह से ? मैंने कहा की बेटी मैं ही पागल था जो समझ न सका लेकिन आज मुझे अपनी गलती का अहसास है ! मुझे मेरे बेटे ने जो जिल्लत दी है उससे अब मैं समझ गया हूँ की कुल का गौरव जरुरी नहीं बेटा ही बढ़ाये एक बेटी भी बढ़ा सकती है ! तुम मुझे माफ़ भी कर दोगी तो भी मैं पश्चाताप की अग्नि में जलता ही रहूँगा ! मुझे अपने आदमी होने का जो दंभ था उसे ने ही मुझे डस लिया था ! मैं जिन्दा था लेकिन मुझे अपने जीवन का कोई औचित्य नहीं लग रहा था ! मैं एक गुनाहगार था और अब एक गुनाहगार की जिंदगी ही जियूँगा !

Views: 852

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 14, 2013 at 1:33pm

एक सोद्येश्य कथा के लिए हृदय से बधाई.

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 12:57pm

आदरणीय गणेश जी , आदरणीय विजय निकोरे जी एवं दिनेश पारीक जी ... बदलाव हो रहे हैं समाज में और भी होंगे तब शायद ये दर्द थम जाये ... लेकिन अभी ये दर्द कहीं न कहीं कायम है समाज में ! आप सभी का हार्दिक धन्यवाद आपने रचना को समय दिया और हौसला बढाया ..

Comment by DINESH PAREEK on February 14, 2013 at 11:37am
प्रवीण जी  आज भी इस समाज  मैं ऐसे  बहुत  मामले  बहुत हो रहे हैं  बहुत दर्द  महसूस  हुवा आपकी इस कहानी से  बस अफ़सोस  रहा की ये दर्द  इस समाज मैं रुकने का नाम  नहीं ले रहा अहि 
दिनेश पारीक  

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 10:47am

डॉ प्राची .. कहा गया है अहंकार के वश होकर ही रवां का अंत हुआ था .. अहंकारी लोगो का ऐसा ही हश्र होता है ! सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद...

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 10:45am

राजेश कुमारी जी कहानी को समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 10:44am

डॉ अजय खरे जी हौसलाफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया ...

Comment by vijay nikore on February 14, 2013 at 9:16am

इस क्षेत्र में परिवर्तन लाने का दायित्व मुख्यता हम पुरुषों पर है।
समाज को सामयिक संदेश के लिए धन्यवाद।

विजय निकोर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 13, 2013 at 8:58pm

आदरणीया प्रवीण मलिक जी इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है फिर भी बेटों और बेटियों में भेद भाव पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ, हां धीरे धीरे कमी जरुर आई है, कहानी शिक्षाप्रद है और सन्देश देने में सफल है , बधाई स्वीकार करें ।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 13, 2013 at 7:54pm

बहुत मर्म स्पर्शी कहानी... बेटों की चाह और बेटियों को दुत्कार.. कितनी जिंदगियां तबाह होती है, कठिन रास्तों से गुज़रती है, क्या क्या सहती हैं, पता नहीं कैसा झूठा अहंकार है पुरुषत्व का?

हार्दिक बधाई इस कहानी पर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2013 at 6:41pm

बहुत मार्मिक किंतु एक सीख देती हुई बढ़िया कहानि हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
56 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service