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तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना

हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥

सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥

अरमानों के गुलशन में बस तेरा चर्चा है,

हरसू तेरी बात चली है आ भी जाओ ना॥

पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है,

तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥

आँखें प्यासी, होंठ हैं प्यासे, प्यासा मेरा मन,

दिल में भी इक प्यास दबी है आ भी जाओ ना॥

भूल गया हूँ ख़ुद को रब को और इस दुनिया को,

केवल तेरी याद बची है आ भी जाओ ना॥

तेरे बिन दिल का गुलशन वीराना लगता है,

मुरझाई चाहत की कली है आ भी जाओ ना॥

“सूरज” के ढलते ही यादें पीछा करती हैं,

तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना॥

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

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Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 11:36pm

वाह! बहुत सुन्दर गजल आदरणीय डॉ. सुर्याबाली 'सूरज' जी बहुत बहुत दाद कुबुलें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 15, 2013 at 5:55pm

आदरणीय सूरज जी 

सादर 

वाह कहने के सिवा कर ही क्या सकता हूँ 

बिमारी लाइलाज नही बता ही सकता हूँ 

ठीक होना है तो कहीं और अब ना जाना 

उनके हसीं सपनो में ही  खो जाना 

आएँगी जब पल्लू  में अंगुली दबाकर

थाम कर हाथ कहना अब कभी जाओ न  

आओ न आओ न 

बधाई 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 15, 2013 at 12:07pm

उपासना जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by upasna siag on February 14, 2013 at 6:34pm

बहुत सुन्दर ........

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 14, 2013 at 6:07pm

परवीन जी नमस्कार ! आपकी दिली दाद मिली ...अच्छा लगा। आपका बहुत बहुत शुक्रिया॥ 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 14, 2013 at 10:38am

विजय जी नमस्कार ! दाद के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 10:37am

डॉ साहब हमेशा की तरह खूबसूरत ग़ज़ल .... जितनी तारीफ की जाये कम है !

बधाई !

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 14, 2013 at 10:37am

वीनस भाई आप आए बहार आई...बड़े दिनों के बाद आया हूँ...आपको बहुत मिस किया॥लेकिन आपकी रचनाए पढ़ता रहा ....आपको बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by vijay nikore on February 14, 2013 at 9:26am

तेरे बिन दिल का गुलशन वीराना लगता है,

मुरझाई चाहत की कली है आ भी जाओ ना॥

सारे ही भाव अच्छे लगे।

बधाई।

विजय निकोर

Comment by वीनस केसरी on February 14, 2013 at 12:45am

तुमने पुकारा और हम चले आए ... जान हथेली पर ले आए रे ... हो $$$$$

:)))))))

अच्छी ग़ज़ल है भाई
बधाई

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