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आते हुये लोग ,
जाते हुये लोग !
जीवन का सुख दुःख ,
आनंद और भोग !!

असली आनंद विदेशों में ,
विदेश यात्रा का सुख ,
खुश और कृत कृत हो जाऊ ,
भूलूं जीवन भर का दुःख !!

वहां का आनंदमय जीवन,
स्वर्ग यात्रा जैसा है ,
हम भी तो देखें महोदय बोले ,
हमारे पास भी पैसा है !

तकनिकी भी मददगार है ,
काफी हद तक मदद करती है ,
फिल्म,विज्ञापन,पत्रिका पोस्टर ,
इन कमियों को पूरा करती है !

वैसे हमारे देश में ,
जो वास्तु लोगों को भाती है ,
यदि मृत भी हो चुकी हो तो ,
कब्र से निकल आती है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 386

Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 5, 2013 at 7:35pm

हम्म्म् कोशिश अच्छी है अग्रजों और गुरुजनों के सुझावों पे अमल करें शुभकामनाएं

Comment by ram shiromani pathak on February 5, 2013 at 7:10pm

लेखक की अंतिम इच्छा विदेश यात्रा का सुख भोगने की nahi hai sir.

bhrast afasr ki antim ichchha ha sir g......

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 5, 2013 at 11:40am

लेखक की अंतिम इच्छा विदेश यात्रा का सुख भोगने की है क्या ? लोग तो सुख शांति की खोज में भारत आते है । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2013 at 8:47pm

//मेरी गलतियों पर आप लोग कमेन्ट नहीं करेंगे तो मुझे कैसे मालून पड़ेगा की मै किस दिशा में जा रहा हूँ !//

आपको अन्य टिप्पणियों में जो कहा गया है, उसी पर अमल करें, भाईजी. यदि आप मात्र वाह-वाह करती टिप्पणियाँ ही पढ़ते हैं तो फिर क्या कहा जा सकता है ?

Comment by ram shiromani pathak on February 4, 2013 at 8:42pm

 मेरी गलतियों पर आप लोग कमेन्ट नहीं करेंगे तो मुझे कैसे मालून पड़ेगा की मै किस दिशा में जा रहा हूँ !आप श्रेष्ठ है !मै नया नया हूँ , सर अतः मेरी किसी भी गलती को क्षमा करते हुए मेरा मार्गदर्शन करने की कृपा करे ...............सादर  

Comment by ram shiromani pathak on February 4, 2013 at 8:31pm

गणेश सर  मै आपके अमूल्य सुझाव से सहमत हूँ ! भविष्य में ऐसी कोई गलती ना करने का प्रण करता हूँ !आभार !!!!!!!!!!!!!!!!!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 4, 2013 at 7:57pm

राम शिरोमणि जी, फ़ास्ट प्रोडक्शन तो ठीक है पर क्वालिटी कण्ट्रोल भी आवश्यक है नहीं तो प्रोडक्ट केवल इन्वेंट्री लोड ही बढ़ाता है | एक सुझाव है, मन हो तो माने नहीं तो इग्नोर करें ....साथियों की रचनाओं को भी पढ़ें और अपनी रचना को पोस्ट करने में जल्दबाजी न करें |

कृपया ध्यान दे...

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