For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुख दिए हैं आपने
मन में बड़ा उत्साह है …
उत्साह से उल्लास को कैसे मिटाऊँ
क्या करूँ ?
कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?

हर्ष जो उपजा हमारे ह्रदय में ,
मै छिपाऊँ या जताऊँ
किस तरह ?
क्या करूँ ?
कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?

शोक में या क्रोध में ,
मै शांत हो जाऊं ,
बताओ किस तरह ?
क्या करूँ ?
कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?

शांत मन जो व्यक्ति हैं ,
वे , तुम्हारे सर्वदा ही प्रिय रहे हैं .
मांग कर जो नित्य ही हलके हुए हैं …
प़ा कर सब कुछ भी
वे केवल जी रहे हैं .

मै तुम्हे कुछ आज देना चाहता हूँ .
अपना जो भी है लुटाना चाहता हूँ .
मुझको कब नश्वर जगत से आस है ?
एक तेरा ही अटल विश्वास है .

लो ! सम्हालो ,
सुविधा -दुविधा , हर्ष और ये शोक भी
राग और विराग , सुख -दुःख ,
मिलन और वियोग भी .
और जो भी चाहते हो ..
ये करूँ ….या वो करूँ ,
तो बोल देना , और अब मैं क्या करू?
कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?

डॉ . ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SARA MISRA on November 21, 2010 at 2:19am
speechless !!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 3, 2010 at 9:46pm
कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?
सर जी , यह तो कौन बनेगा करोड़पति का सवाल है, बल्कि उससे कठिन, इसलिये की ४ विकल्प तो है ही नहीं, हा हा हा हा
सुंदर रचना सर जी , बधाई |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 2, 2010 at 9:37pm
aapke dwara sarahna mera puruskar hai..navin ji aur mai isase khush bhi hoon aapka bahut bahut dhanyawad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service