For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन ही सवालों से उलझता है !
मन ही सवालों से कतराता है !
मन ही दर-बदर भटकता है!
मन ही भूलने की बात करता है !
झगड़ता है, चिल्लाता है , कोसता है!
यह मन ही तो है जो रोता है !
अनुभव है ,सच नहीं है,
जाने भी दो, जिंदगी है ,
समझकर सबकुछ खुद को ,
समझाने की कोशिश करता है !
कुछ पल तो शांत बैठता है
और फिर अचानक -
मन ही मन कह उठता है
आह! खट्टे अंगूर !

अन्वेषा

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anwesha Anjushree on December 15, 2012 at 4:14pm

Seema ji, Vinus ji, Arun ji, Ajay ji aur Rajesh ji...abhar.....--/\--


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 2:39pm

हम तो सच में मन के हाथों कठपुतली की तरह हैं जैसे चाहे मन नचाता जो है दिमाग समझाता है पर मन उस पर हावी हो जाता है आपकी रचना यही सब कह रही है बहुत सुन्दर लिखा आपको शायद पहली बार पढ़ रही हूँ बधाई आपको 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 2:00pm

chanchal man ka chitran badia he badhai

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 11:23am

आदरणीया आपने मन को बड़े मन से रचना में उतारा है, बधाई स्वीकारें

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 2:58am

सुख - दुःख,

दोनों पहलूओं पर विचार मंथन करती सुन्दर अभिव्यक्ति

Comment by seema agrawal on December 15, 2012 at 12:33am

मन की चतुराई को अच्छा समझाया है आपने ........
ऐ मन रुक 

थोडा समझ लूं तुझे 

ढाल लूं तुझे शब्दों में 

गा लूं तेरे सुरों को 

उफ़ नहीं

तू जा ,छुप जा 

आखिर लोग क्या कहेंगे..... :) 

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 8:19pm

Prachi Singh ji..Saurabh Pandey Ji..aap dono ka bahut bahut SHukriya, mujhe padhne ke liye aur utsahit karne ke liye ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2012 at 7:44pm

पा गये तो खूब वर्ना खट्टे अंगूर ! वैचारिकता को शब्द-शब्द उतारते जाना अच्छा लगा. प्रस्तुति हेतु बधाई, अन्वेषाजी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 14, 2012 at 6:34pm

मन ही मन कह उठता है
आह! खट्टे अंगूर !....................मन के हारे हार है, मन के जीते जीत.

मन का एक्सरे सुन्दर है.बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service