For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बूढ़े बाबा की दीवानी

मोटी - मोटी चादर तानी,
फिर भी भीतर घुसकर मानी,

जाड़े की जारी मनमानी,
बूढ़े बाबा की दीवानी,

दादा - दादी, नाना - नानी,
कहते बख्शो ठंडक रानी,

रविकर किरणें आनी जानी,
पावक लगती ठंडा पानी

देखो जिद मौसम ने ठानी,
बारिश करके की शैतानी,

राहें सब जानी पहचानी,
कुहरे ने कर दी अनजानी,

बंधू बोलो मीठी वानी,
सबके मन को है ये भानी.

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 1:23pm

आभार आदरणीय अजय सर

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 2:02pm

badia rachana badhai

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 11:25am

वीनस भाई आपको रचना पसंद आई एक रचनाकार को और क्या चाहिए शुक्रिया

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 11:24am

आदरणीया सीमा दी सराहना हेतु हार्दिक आभार

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 2:47am

बंधू बोलो मीठी वानी,
सबके मन को है ये भानी.

वाह वाह वाह वाह


भाई अनन्त जी,
सौरभ जी पहले ही पूछ चुके हैं नहीं तो मैं जरूर पूछता ....
ये क्या है ?

रविकर किरणें आनी जानी,
पावक लगती ठंडा पानी

Comment by seema agrawal on December 15, 2012 at 12:50am

बालपन का भोलापन और शरारत लिए इस प्यारी सी रचना केलिए बधाई अरुण  

गलतियाँ सीखने के क्रम का ही एक अहम् हिस्सा हैं इससे परेशान मत होइए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2012 at 6:09pm

//सर लाख कोशिशें करता हूँ फिर भी कुछ खामियां रह ही जाती हैं आपने प्रश्न किया तो अब मुझे लग रहा है ये क्या लिख दिया.//

फिर वाह-वाही का अर्थ क्या है, कितना है ?

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 14, 2012 at 2:41pm

आभार आदरणीय लक्ष्मन सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 14, 2012 at 2:38pm

आभार सर अनेक-2 धन्यवाद गुरुदेव आपका, आपके मुख से वाह वाह सुनने के लिए बेताब रहता हूँ ह्रदय के अन्तःस्थल से धन्यवाद सर. सर लाख कोशिशें करता हूँ फिर भी कुछ खामियां रह ही जाती हैं आपने प्रश्न किया तो अब मुझे लग रहा है ये क्या लिख दिया.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 2:37pm
मौसम जाड़े का हो, या गर्मी का, अपना रुतबा (या अपनी मनमानी) दिखाने से कब रुके है ।
और तो और इन्द्रदेव ही नहीं रुकते । फिर भी रचना सुन्दर लगी बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
10 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service