For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमको लिखते हाथ कांपते

तुमको लिखते हाथ कांपते

अक्‍सर शब्‍द सिहरते हैं

तुम क्‍‍या जानो तुमसे मिलकर

कितने गीत निखरते हैं

कर लेना सौ बार बगावत

पल भर आज ठहर जाओ

तेरा-मेरा आज भूलकर

चंदन-पानी कर जाओ

 

तुम बिन मेरा सावन सूखा

बादल खूब गरजते हैं

देख रहे जो झिलमिल लडि़यां

बहते अश्‍क लरजते हैं

 

कैसे लिख दूं बदन तुम्‍हारा

बड़ी कश्‍मकश है यारा

बदनाम चमन अंजाम सनम

कलम बिगड़ती है यारा

 

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं

 

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 3:10pm

तुम बिन मेरा सावन सूखा

बादल खूब गरजते हैं

देख रहे जो झिलमिल लडि़यां

बहते अश्‍क लरजते हैं

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं.......बहुत सुन्दर मन मोहक गीत 

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 2:47pm

आप सबकी प्रतिक्रिया ने स्‍तब्‍ध कर दिया लिखते वक्‍त सोचा तक नहीं था कि इतनी पसंद की जाएगी, सबको नमन


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 12:47pm

किस पंक्ति किस शब्द की तारीफ़ करूँ,

बहुत कोमलता से , खूबसूरत,हार्दिक संवेदना के कोमलतम एहसासों को , भावों को नाज़ुक से शब्द दिए है, कविता जैसे नदी की रवानगी लिए बहती जा रही है, और सीधे ह्रदय में प्रवेश कर रही है.

इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई प्रिय राजेश कुमार जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 12, 2012 at 4:45am

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं!

आदरणीय राजेश झा जी, बधाई स्वीकार करें!

Comment by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 1:58am

बहुत खूब भाई
जब.. सुर लय ताल का संगम होता है और उसमें भाव आ कर घुल जाते हैं तो एक ही स्थिति बनती है... आनंद की स्थिति

आप बेहद शानदार गीत लिखते हैं
संतुलित, सुसंस्कारित 
हार्दिक बधाई

Comment by Dipak Mashal on December 11, 2012 at 8:02pm

ऐसे सुन्दर गीत के लिए बधाई  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 6:54pm

सुन्दर रचना बधाई श्री राजेश कुमार झा 

Comment by राजेश 'मृदु' on December 11, 2012 at 6:20pm

आदरणीय संदीप जी एवं अजय साहब आपकी उपस्थिति एवं विचार से मन अनुगृहित हुआ । आप सबके प्रेम से ही लेखनी चलती रहती है सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 11, 2012 at 5:36pm

 बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई आपके आदरणीय झा साहब
क्या बात  है

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 4:53pm

Jha sahib seingar ki bochar se aapne tan man bhigo diya keep it up

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service