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''जिंदगी के दो पहलू''

बाला साहिब ठाकरे के निधन पर इन पहलुओं का अहसास हुआ

1.

सुना है आज एक शेर मरा है
जिंदगी की जंग जीतकर
जन सैलाब उमड़ा
अश्रु सैलाब बहा
सबको अकेला छोड़
गया एक अनजान सफ़र पर..
लिए चंदन की खुश्बू,
फूलों का बिस्तर,
रंगीन चश्मा पहन,
जिसमें आगे का लक्ष्य
शायद सॉफ दिखाई दे
अपनी एक पहचान छोड़कर
एक मुकाम पर पहुँचकर
2.
एक मर गया बिन बुलावे के
सुनसान सड़क के
सुनसान किनारे पर
पत्थर तोड़ता वो शख्स
ना किसी ने देखा,
ना कोई रोया,
ना कोई आगे ना कोई पीछे
कौन देगा अग्नि पता नहीं
शव शैय्या तो बनी ही नही
सुना है वो जिंदगी की जंग
हार गया
कोई तेज चलता ट्रक उसको
ठोकर मार गया....

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on December 24, 2012 at 6:34pm

अरुण ऐसे ही हौंसला बढ़ाते रहें,शुभाषीश

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 10, 2012 at 3:31pm

आदरणीया बाला साहिब ठाकरे जी को विनम्र श्रधांजलि, आपने ऐसे पहलुओं का एहसास कराया है पूर्णतया सत्य है, पढ़कर एक गाना याद आ गया, ये जीवन है इस जीवन का, यही है, यही है, यही है रंगरूप हार्दिक बधाई स्वीकारें

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