For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

का भाई जी ध्यान बा न ?

का भाई जी ध्यान बा न ?
बड़ा ही अजीब शब्द है,लेकिन आजकल धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है भैया.....ये शब्द मानो लोगो की परछाई बन के चिपक सी गयी है ......जी ये शब्द है चुनावी महाकुम्भ में डुबकी लगाने के वास्ते उतरे हुए उम्मीदवारों के ...राह चलते हुए किसी पहचान वाले को देख लिए तो जल्दी से गाड़ी रुकवाते है ...और हाथ जोड़ते हुए कहते है "का भाई जी ध्यान बा न?" या "का जी बाबा तनी हमरो पर ध्यान देब"
कुछ भी कहा जाये पर बिहार के उन जिलो में चुनावी महापर्व रंग ला रहा है, जहा अभी चुनाव होना बाकि है. लोग इस रंग में रंगने को पूरी तरह तैयार है. कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देता. आखिर यह पर्व ५ सालो के बाद जो आता है .
दिन भर गाओं में गाडियों का आना जाना .....एक अभी गए नहीं की दुसरे हाजिर है. भाई इस पर्व का तो आनंद ही कुछ और है. यह मुसीबत केवल गरीबो और गाँव वालो के लिए ही नहीं है .....अगर आपकी थोड़ी सी पहुच है समाज में, या जान पहचान है तो आपके लिए और भी बड़ी मुसीबत है, सुबह -सुबह फ़ोन आएगा और कोई पूछेगा "बाबा कहाँ बानी? आज आपन एक घंटा समय दे देती त" आ गयी मुसीबत यह सोच कर हा कहना पड़ता है ! आईये अब बाते करते है किसानो की, इनकी तो सबसे जयादा चांदी रहती है जो खादी वाला कुरता -पैजामा या धोती- कुरता श्रीमती जी के बक्से में महीनो से दम घुट रहा होता है वो निकलता है इसी महापर्व में. खादी झारकर सुबह -सुबह ही बैठे है द्वार पर ,एक घंटा बिता नहीं की सोचने लगे "आज कोई पार्टी नहीं आया !क्या बात है"?
इतने में चमचमाती हुई गाड़ी आई और नारे लगने लगे, जिंदाबाद..जिंदाबाद, उस जिंदाबाद वाले नारे में से कोई निकल के कहता है "अरे पाण्डेय जी, महाराज आपके लिए ही तो आये फलनवा आदमी,चलिए चलिए, आज जाना है आपके सम्बन्धी के गाँव के तरफ प्रचार में" इधर पाण्डेय जी के मन में लड्डू फुट रहे है चलो आज का तो काम बना !
अब बाते करते है चौक पर के नेताओं की, भैया सबसे ज्यादा अगर कोई माल मारता है तो वो यही है. पार्टी आई नहीं की दावा ठोक दिए, भाई हमारे पास तो ५०० वोट है, फलाने जाती का, मैं जहाँ कहूँगा वही देंगे ये लोग. भाई मामला अब ५०० वोट का है उम्मीदवार को तो सोचना जरुरी है , बेचारे प्रत्याशी ने दे दिया ५ हजार का बण्डल और देकर बोला "भैया मेरे पैसे का लाज रखियेगा" लेकिन उस उम्मीदवार को क्या पता कि उससे पहले भी किसी ने इस आदमी को बण्डल देकर गया है और यही बात भी बोला है और ऐसे ऐसे ही करके बेचारे ये पुरे साल की कमाई कर लेते है और बेचारे पिछड़े जाति वाले अपनी समस्या ही सुनाते रह जाते है और गाड़िया गिनते रह जाते है.
यही है इस चुनावी महापर्व का कच्चा चिटठा.

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 29, 2010 at 10:48pm
वोटों के दलालों और सौदागरों के क्रिया कलाप का बेहतरीन चित्रण है रत्नेश जी ..काश जनता के वोटों की खरीदारी से बचा जाना संभव होता तो देश में चौतरफा उन्नति की बहार आयी होती...सुन्दर रचना के लिए आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service