For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद-सितारे ,बादल ,सूरज

आँख मिचौली खेल रहें हैं ।

धरती खुश है ,

झूम रही है ।

झूम रहा है प्रहरी कवि-मन ।

समय आ गया नए सृजन का ।

 

खून सनी सड़कों पर-

काँटे उग आएं हैं ।

जीवन भाग रहा है नंगेपांव –

मगर बचना मुश्किल है ।

सन्नाटों का गठबंधन-

अब चीखों से है ।

 

हृदयों के श्रृंगारिक पल में

छत पर चाँद उतर आता है ।

कवि के कन्धे पर सर रखकर

मुस्काता है ।

नीम द्वार का गा उठता है

गीत प्यार के ।

 

कविताएँ नाखून बढाकर

घूम रहीं हैं ।

नुचे हुए भावों के चेहरे

नया मुखौटा ओढ़ चुके हैं ।

अट्टहास करती है नफरत

प्यार भरी कुछ मुस्कानों पर ।

 

अलग-अलग से दो मंजर हैं ,

किसको देखूं ?

 

जुदा-जुदा सी दो राहें हैं ,

क्या होगा-

मेयार सफर का ?

 

तय करना है !

 

 

 

.............................. अरुन श्री !

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:43am

डा० प्राची सिंह मैम , ऐसे ही दृष्टि बनाए रखिए ! सादर धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:41am

विनीता शुक्ल मै , सराहना और बधाई सन्देश हेतु धन्यवाद आपका !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:41am

नादिर साहेब , सराहना के लिए धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:40am

राजेश कुमारी मैम , बहुत बहुत धन्यवाद जो अपने इस रचना को समय दिया ! उम्मीद है अब नियमित रह सकूंगा ! :-)) ! अच्छा लगा कि मैं याद हूँ आपको !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:38am

आदरणीय सौरभ सर ,
//किसे समझें और किसे समझते हुए छोड़ दें का व्यावहारिक द्वंद्व. संवेदना को मिला यही श्राप किसी कवि के हो जाने की शर्त है//
आपकी सिर्फ एक पंक्ति इस पूरी कविता से अधिक सारगर्भित है ! आपने सदा ही मेरा मान बढ़ाया है ! आशीर्वाद दिया है ! मार्गदर्शन किया है ! इस सब बातों के लिए मैं धन्यवाद नही कहूँगा ! बस आशीष बना रहे अनुज पर ! :-))
संभवतः सब सामान्य रहा तो अब नियमित रहूँगा !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:34am

राजेश कुमार सर , आपकी सराहना ने सचमुच सुखद एहसास कराया ! आपने ठीक ही कहा ये न तो गीत है न ही नवगीत ! तो अतुकांत आधुनिक कविता कह लें ! :-)) शिल्प चाहे जो हो भाव ह्रदय तक पहुँचने चाहिए ! आपके सुझाव के लिए आपका आभारी हूँ ! बस ऐसे ही दृष्टि बनाए रखिए ! सादर धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:30am

अखिलेश मिश्र सर , बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:30am

रविकर सर , आपकी छंदबद्ध सराहना के लिए धन्यवाद !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2012 at 7:51am

दो बिलकुल अलग भाव चित्रों को बहद संवेदनात्मक शब्दों के साथ अभिव्यक्त किया है आ. अरुण जी.....बहुत रोचक और सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई 

Comment by Vinita Shukla on November 8, 2012 at 5:02am

अद्भुत एवं प्रभावी अभिव्यक्ति. बधाई स्वीकार करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
11 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service