For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तो देव लोक का स्वामी रावण ही होता

वह तपस्वी रावण जिसे मिला था-
ब्रह्मा से विद्वता और अमरता का वरदान
शिव भक्ति से पाया शक्ति का  वरदान |     
                                                                              
चारों वेदों का ज्ञाता, 
ज्योतिष विद्या का पारंगत,                                 
अपने घर की वास्तु शांति हेतु 
आचार्य रूप में  जिसे-
भगवन शंकर ने किया आमंत्रित |
शिव भक्त रावण-
रामेश्वरम में शिवलिंग पूजा हेतु 
अपने शत्रु प्रभु राम का-
जिसने स्वीकार किया निमंत्रण |
 
आयुर्वेद, रसायन और कई प्रकार की
जानता जो विधियां,
अस्त्र शास्त्र,तंत्र-मन्त्र की सिद्धियाँ |
शिव तांडव स्तोत्र  का महान कवि,
अग्नि-बाण ब्रह्मास्त्र का ही नहि, 
बेला या वायलिन का आविष्कर्ता,
जिसे देखते ही दरबार में 
राम भक्त हनुमान भी एक बार 
मुग्ध हो, बोल उठे थे -
"राक्षस राजश्य सर्व लक्षणयुक्ता"|
 
काश रामानुज लक्ष्मण ने 
सुर्पणखा की नाक न कटी होती,
काश रावण के मन में सुर्पणखा
के प्रति अगाध प्रेम न होता, 
गर बदला लेने के लिए सुर्पणखा ने            
रावण को न उकसाया होता -
रावण के मन में सीता हरण का 
ख्याल कभी न आया होता |
इस तरह रावण में-
अधर्म बलवान न होता,
तो देव लोक का भी- 
स्वामी रावण ही होता |
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

 

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 28, 2012 at 5:18pm

रचना पसंद आई, मेरा लिखना सार्थक हो गया, आपका हार्दिक आभार श्री विशाल चर्चित जी 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2012 at 4:50pm

वाह...... अनेकों जानकारियों से लैस.......लीक से हट्कर कु्छ अलग सी एक अच्छी रचना........

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 28, 2012 at 10:00am

रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद शिखा कौशिक जी

Comment by shikha kaushik on October 27, 2012 at 10:52pm

बहुत सार्थक विचारों को प्रकट करती रचना हेतु बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 26, 2012 at 11:28am

रचना में वर्णित प्रसंगों को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री उमाशंकर मिश्रा जी, किसी व्यक्ति में अहंकार जैसी बुराई असकी विद्वता जैसे सारे गुणों को धो डालती है, रावन से अच्छा इसका कोई और उदाहरण नही हो सकता |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 26, 2012 at 11:23am

रचना सराहने के लिए हार्दिक धन्यवाद शालिनी कौशिकजी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 26, 2012 at 11:21am

रचना सराहने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी, किसी महिला पर अत्याचार (भलेही सुर्पणखा ही हो) का

परिणाम बुरा ही रहा है, और अधिकाँश युद्ध का कारण भी रहा है | 
Comment by UMASHANKER MISHRA on October 26, 2012 at 12:09am

वाह आदरणीय लक्षमन प्रसाद जी आपने बहुत ही अच्छे प्रसंगों को सहेज कर बहुत ही बडीया जानकारी वाली रचना प्रस्तुत की  है 

आपने यह भी सही कहा की यदि श्रूपनखा न आती तो शायद रावण अपने विद्वनता के बल पर देव लोक का राजा होता 

आपके द्वारा प्रस्तुत हर एक प्रसंग रोचक है 

हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 25, 2012 at 10:25pm

रचना के भाव पसंद कर सराहने हेतु हार्दिक धन्यवाद श्री अनिल चौधरी समीरजी | मेरी बात तो गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामभक्त हनुमान जी मुखारविंद से भी  समझाने का प्रयास किया है | फिर हमें रावण का पुतला जलाने का अधिकार तो वास्तव में जब ही है, जब हम स्वयं अहंकार रहित हो | 

Comment by shalini kaushik on October 25, 2012 at 9:06pm

काश तो बहुत कुछ हो सकता था काश राम को वनवास न होता काश सीता वन न जाती किन्तु ये धरती तो है ही पाप भुगतने वालों के लिए और जो यहाँ आया है उसे अपने पाप भुगतने होंगे और इसलिए रावन जैसा पापी लंका का स्वामी तो हो सकता है देवलोक का नहीं  .बहुत सुन्दर  भावपूर्ण  प्रस्तुति  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service