For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

द्रष्टव्य विशालकाय,
हर सदस्य असहाय 
एक दूजे पर भार-
साझेदार, या 
संयुक्त परिवार |
अपनेपन के आभाव में 
घावों में सिमटे 
लटकती तलवार तले,
विशालकाय-
संयुक्त परिवार पले |
ढके आचरण के भीतर,
सीमित परिवारों से भी 
बदतर 
हर सदस्य की छवि-
मैली,
फूकने को जहां 
सीर की 
हवेली |
 
-लक्ष्मण लडीवाला,जयपुर 

 

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 30, 2012 at 9:10pm

आपके रचनाभिव्यक्ति की सराहना मिल जाने से रचना की सार्थकता की पुष्टि हो गई |

हार्दिक आभार आपका आदरणीया सीमा अग्रवाल जी 
Comment by seema agrawal on October 30, 2012 at 8:53pm

एक अच्छी व्यवस्था भी  आपसी गलतफहमियों और स्वार्थपरता  के चलते किस प्रकार अव्यवस्थित हो जाती है इसका दुःख आपकी रचना में सही प्रकार से परिलक्षित हुआ है 

बहुत सधी हुयी अभिव्यक्ति है 

 हार्दिक बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 25, 2012 at 9:06am

आदरणीय सीमा जी, हमारे यहाँ राजस्थान में सीर शब्द साझे के लिए प्रयोग में लिया जाता है |अधिकतर पुरानी हवेलियाँ जिनमे तीन-चार पीड़ियाँ गुजर गयी विभाजन और फिर उप विभाजन के फल स्वरुप ८-१० या उससे अधिक परिवारों में बटवारा हो जाता है | ऐसे में चौक, पोली(दरवाजेऔर चौक के मध्य का हिस्सा, रोस, तहारत (शौचालय) और सीडियां सबके सांझे में कॉमन होती है,जिनकी देख भाल,टूट-फूट,मरम्मत यहाँ तक सफाई तक का खर्च कॉमन होता है | ऐसे आजकल इनकी देखभाल, सार सम्भाल के लिए न कोई समय देनाचाहता है न ही खर्च करना चाहता है | इस प्रकार के बड़ी बड़ी हवेलियाँ सांझे की या सीर की हवेलियाँ कहलाती है | वैसे यह रचना मेरी एककहानी "अपनापन" (1978 में अग्रगामी (मासिक) में प्रकाशित, (प्रकशित कहानी यहाँ पोस्ट करना उचित नहीं होगा) पर आधारित है |

Comment by seema agrawal on October 24, 2012 at 10:36pm

सीर की हवेली |...मुझे इस शब्द का अर्थ बताइए आदरणीय लक्ष्मण जी जानने के बाद मैं दोबारा उपस्थित होती हूँ इस रचना पर  | कुछ तो आपकी बात ग्रहण कर सकी हूँ जो सर्वथा सत्य है  पर पूरा समझना चाहती हूँ |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 24, 2012 at 8:48pm

आदरणीय श्री गणेश जी बागी जी आपको रचना रुचिकर लगी,मेरा लिखना सार्थक हुआ, 

हार्दिक आभार स्वीकारे | साथ ही विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाए

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 8:08pm

आदरणीय लडिवाला जी, यह रचना मुझे रूचि, इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हो |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 23, 2012 at 12:04pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद भाई राज नवादवी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service