For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चौदह बरस वनवास काट राम बन कर देख !

चौदह बरस वनवास काट राम बन कर देख !


कैसे सहे जाते हैं होनी के लिखे लेख ?
चौदह बरस वनवास काट राम बन कर देख !

कैसे निभाते कुल की रीत ; प्रिय पिता से प्रीत ,
शांत कैसे करते हैं कैकेयी उर के क्लेश ?
चौदह बरस ....................


होना था जिस घड़ी श्री राम का अभिषेक ,
उसी घड़ी चले धर कर वो तापस वेश !
चौदह बरस ........................


कैसे चले कंटकमय पथ पर संग सिया लखन ?
काँटों की चुभन पर भरते न आह लेश !
चौदह बरस वनवास काट ......

कैसे भरत उर शांत किया चित्रकूट में ?
निज निज निभाओ धर्म सब देते हैं ये सन्देश .
चौदह बरस वनवास काट ........

पंचवटी में छल से सिया हरण , जटायु -मरण ,
कोमल ह्रदय श्री राम सहते कैसे ये वज्र ठेस ?
चौदह बरस वनवास काट ......




हनुमत से दास से मिलन , सुग्रीव -मित्रता ,
बालि का वध , चौमास ताप , सिया -स्मृति अनेक .
चौदह बरस वनवास .....

सिया सुधि , सेना -गठन , दक्षिण को फिर गमन ,
कैसे बना राम-सेतु ? किया लंका में प्रवेश .
चौदह बरस ................

लंका पर चढ़ाई , कटा रावण-शीश ,
अग्नि-परीक्षा सीता की , हुए राम -सिया एक .
चौदह बरस ................



पुष्पक विमान पर चले फिर अवध की और ,
धीरज से काट दुःख के दिन देते प्रभु संकेत .
चौदह बरस .......................
शिखा कौशिक 'नूतन'

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on October 24, 2012 at 10:24pm

 विचारों की प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 8:10pm

शिखा जी, चौदह वर्ष तक वनवास का वियोग आपकी रचना में उभर कर आता है , इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हो |

Comment by shikha kaushik on October 24, 2012 at 2:59pm
रचना को सराहने हेतु हार्दिक आभार .आपकी सारगर्भित टिप्पणी सदैव अच्छी रचना सृजित करने हेतु प्रोत्साहित करती है .हार्दिक धन्यवाद
Comment by रविकर on October 24, 2012 at 12:30pm

बढ़िया प्रस्तुति |
शुभ विजया ||
सादर -


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 24, 2012 at 11:31am

बहुत सुन्दर प्रस्तुति शिखा जी बहुत बहुत बधाई विजय दशमी की शुभकामनाएं 

Comment by shalini kaushik on October 23, 2012 at 11:41pm
बहुत ही भावपूर्ण कविता है .सच में कोई राम बन कर देखे तभी वह होनी से जूझने की वास्तविक शक्ति स्वयं में महसूस कर सकता है बहुत सुन्दर प्रस्तुति.आभार
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2012 at 7:17pm
धीरज से काट दुःख के दिन प्रभु देते यही सन्देश 
बधाई शिखा कौशिक लिखा जो अच्छा सन्देश |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
23 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service