For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रश्नवाची मन हुआ है

प्रश्नवाची 
मन हुआ है, हैं सुलगते अभिकथन 
क्या मुझे अधिकार है ये 
मैं दशानन को जलाऊँ ??

खींच कर 
रेखा अहम् की शक्त वर्तुल से घिरी हूँ 
आइना भी क्या करे जब मैं तिमिर की कोठरी हूँ 
दर्प की आपाद मस्तक स्याह चादर ओढ़ कर 
क्या मुझे अधिकार है
'दम्भी 'दशानन को बताऊँ ??

झूठ, माया-मोह 
ईर्ष्या के असुर नित रास करते 
स्वार्थ की चिंगारियों से प्रिय सभी रिश्ते सुलगते 
पुण्य पापों को बता कर सत्य पर भूरज उड़ा 
क्या मुझे अधिकार है
'पातक' दशानन को जताऊँ ??

अपहरित 
अंतःकरण की मुक्ति हित बलदेव बन के 
बालने हैं अब दशानन सम सभी दुर्दैव मन के 
बिन स्वयं हो मुक्त दुर्गुण के असित प्रतिबन्ध से 
क्या मुझे अधिकार है 
दुर्नय दशानन के दिखाऊँ ??

--सीमा अग्रवाल

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 10:25pm

बहुत ही सुन्दर और परिमार्जित भाषा- शैली में, अंतस में छुपे रावण का;  दहन करने की छटपटाहट, मुखरित हुई है इस रचना में. कोटिशः बधाई सीमा जी.

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 26, 2012 at 10:09am

आदरणीय सीमा जी, लाजवाब रचना ! शब्द नही बधाई को..... फिर भी, अनंत बधाइयां स्वीकारें....!

Comment by shalini kaushik on October 24, 2012 at 11:51pm
है ये सबसे कह रहा 
पूजते हो गर तुम श्रीराम को 
मानते हो अगर सिया को पूजनीय 
तो तुम्हे अधिकार है 
बढ़कर आगे 
जला डालो रावन रुपी हर बुराई को 
 
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सीमा जी 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 8:17pm

प्रश्नवाची मन हुआ है,
सुलग रहे हैं अभिकथन |
क्या मुझे अधिकार है ?
मैं जलाऊँ दशानन ||

वाह आदरणीया वाह, मन मुग्ध हो गया इस रचना से साक्षात्कार कर के, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by रविकर on October 24, 2012 at 12:31pm

बढ़िया प्रस्तुति |
शुभ विजया ||
सादर -

Comment by seema agrawal on October 23, 2012 at 2:16pm

//कैसे धन्यवाद कहूँ !// वाह क्या बात है सौरभ जी, अब मेरे लिए भी समस्या हो गयी न कि आपको मै धन्यवाद कैसे दूं |
आप सबके द्वारा मिले प्रोत्साहन का ही परिणाम कहूँगी इसे जो आपकी इस प्रकार की प्रतिक्रिया को ग्रहण करने का मौका मिला
.......सादर आभार

Comment by seema agrawal on October 23, 2012 at 2:12pm

आभारी हों राज़ जी आपकी उपस्थिति और सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए

Comment by seema agrawal on October 23, 2012 at 2:11pm

आदरणीय लक्ष्मण जी आपकी उपस्थिति अत्यधिक उर्जायुक्त होती है और एक तरफ तो मन प्रसन्न कर देती है तो दूसरी तरफ नया उत्साह भर देती है प्रतिक्रया स्वरुप दी गयी आपकी पंक्तियों हेतु आभार

Comment by seema agrawal on October 23, 2012 at 2:07pm

हृदय से धन्यवाद आदरणीय राजेश जी

Comment by seema agrawal on October 23, 2012 at 2:06pm

प्रिय प्राची ,
आपका कहना बिलकुल ठीक है अगर इस प्रश्न को हर कोई अपने समक्ष खड़ा कर ले तो शायद बहुत से आत्मिक और मानसिक
विकारों का समाधान मिल जायेगा ..बहुत बहुत आभार आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service