For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो न्यारा सा आँगन .
वो प्यारा सा बगीचा

वो लह लहाते खेत .
वो दूर जाती पगडण्डी

वो सुबह शाम चिड़ियों का चहचहाना
वो सिंदूरी शाम गऊ माँ का रम्भाना

वो चंदा का रात में, धरती पे उतर के आना
वो बर्फ सी चांदनी तन-मन का सिहर जाना

अंधेरिया अंजोरिया के साथ हर पल का जुड़ जाना
वो स्वच्छ गगन में तारों का जग-मग टिम टिमाना

वो खपरैल कुशा से बने घर वातानुकूल
वो पेड़ों पर झूलों का सावन मे लटकाना

वो गेहूं चने की रोटी मक्के का भात
वो सजाव दही मक्खन दूध का साथ

वो मित्रो की टोली बारिश में नहाना
हर शाम कुस्ती कबड्डी शोर मचाना

राजीव दुनिया थोड़ी नहीं बहुत बदल गई है !
अब तो स्वप्न सा रह गया फिर से सभ कुछ पाना !

२६ /०७/ २०१२

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rajeev Mishra on January 3, 2013 at 6:43pm

aap sabhi ka hrdik aabhar !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 22, 2012 at 10:55am

राजिव जी, गाँव की याद ताजा कर दी, अच्छी रचना, शिल्प पर थोड़ी और म्हणत की जरुरत है, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर, उम्मीद है कि आगे भी आपकी रचनाओं एवं अन्य सदस्यों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों से हम सभी लाभान्वित होते रहेंगे |

Comment by Rekha Joshi on September 21, 2012 at 7:22pm

वो गेहूं चने की रोटी मक्के का भात 
वो सजाव दही मक्खन दूध का साथ ,राजीव जी  अति सुंदर ,यह पढ़ कर भूख लग आई ,बधाई 

Comment by लोकेश सिंह on September 21, 2012 at 3:37pm

मन को भावविभोर करने वाली बहुत ही प्यारी रचना ,बचपन की यादे  एकदम से ताजा हो गयी ,अच्च्ची रचना के लिए बहुत बहुत साधुवाद ,माँ वीणावादिनी आप पर  अपनी कृपा बनाये रखे.....लोकेश सिंह 

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 1:01pm

सुन्दर रचना ,बधाई आपको ....

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 21, 2012 at 11:44am

अच्छा लगा पढ़कर, बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service