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चलो निरंतर..चलो निरंतर.

जिसके पैर न रुकना जाने ,
जिसके हाथ न थकना जाने
सुनो ध्यान से ;
हरदम उसका
भाग्य-लक्ष्मी पीछा करती...
सखा उसी का होता ईश्वर...
जग में वही सफल होता है .
और वही रोता है हरदम...
दुखी दरिद्री भी होता है
पाप उसी को सदा दबाते
कर्महीन जो नर होता है.
त्याग नींद आलस्य इसीसे
शुभ कर्मो को करो निरंतर ...
.......चलो निरंतर -१-

सोये पड़े व्यक्ति का देखो
सोया पड़ा भाग्य रहता है
उठ बैठे तो भाग्य उठेगा
चल पड़ने से चल निकलेगा ...
जो चलते हैं ..
अपना कर्म किया करते हैं ..
थक कर उनके पाप सदा सोया करते हैं
पुण्य सुवासित सुभग भाग्य ले कर आते हैं
नज़र बचा कर आफत- विपत निकल जाते हैं
त्याग नींद आलस्य इसीसे
शुभ कर्मों को करो निरंतर
चलो निरंतर....-२-

सोते हैं जो उनका ही कलियुग होता है
अंगड़ाई लेने वाले द्वापर में आते ...
खड़े हाथ में लिए शस्त्र, दे रहे चुनौती
वीर धनुर्धर राम सदा त्रेता में होते ...
लेकिन हरदम चलनेवाले ..
सदा कर्म को करने वाले
अमृतफल को चखने वाले
सदा सूर्य से तपने वाले...
सतयुग के वो कर्मवीर आदर पाते हैं..
वे प्रमाद को त्याग सदा पूजे जाते हैं ...
त्याग नींद आलस्य इसीसे
शुभ कर्मो को करो निरंतर
चलो निरंतर -३-

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 13, 2010 at 10:38am
जिसके पैर न रुकना जाने ,
जिसके हाथ न थकना जाने
सुनो ध्यान से ;
हरदम उसका
भाग्य-लक्ष्मी पीछा करती...
सखा उसी का होता ईश्वर...
जग में वही सफल होता है .

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