For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब जब हैं आतंकी आये

बिल में चूहे सा घुस जाये  

खो जाए उसकी आवाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज! 

______________________

नाम जपे नित भाईचारा.

भाई को ही समझे चारा 

ऐसे झपटे जैसे बाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज! 

______________________

प्लेटफार्म पर सदा घसीटे

मारे दौड़ा दौड़ा पीटे

इम्तहान क्या दोगे आज

क्या सखि पोलिस ? नहिं सखि राज !

_______________________

चलती जिसकी अज़ब गुंडई 

कहे, निकल ले, छोड़ मुम्बई

उठा-पटक जिसका अंदाज़

क्या सखि सत्ता? नहिं सखि राज !

_______________________

खुराफात में जिसका है मन

जिसका उत्तर भारत दुश्मन

दबंगई नित जिसका काज

क्या सखि भाई? नहिं सखि राज !

______________________

लगता है थोड़ा सा खिसका

खानदान सिरफिरा है जिसका

क्षेत्र-वाद का छेड़े साज 

क्या सखि गोरा? नहिं सखि राज ! 

______________________

वैसे तो वह बना कसाई

फिर भी है अपना ही भाई

दें सद्बुद्धि जिसे प्रभु आज

क्या सखि जालिम? नहिं सखि राज !

_______________________

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1279

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 23, 2012 at 11:45am

स्वागत है भाई संदीप जी ! कह मुकरियों को पसंद करने के लिए आप के प्रति हार्दिक आभार !

//किन्तु किसी एक नेता विशेष पर संकुचित सी जान पड़ती हैं
जबकि इन नेताओं के जन्मदाता सारे आम लोग ही हैं
कवि की दृष्टि से इस संकुचित भावना से बचना चाहिए
किसी एक को आइना दिखा के हम सिमट नहीं सकते हैं//

आपने बिल्कुल सही कहा कि साहित्यकार को संकुचित भावना से बचना चाहिए ! परन्तु भाईजी ,  आज के इस दौर में यह कथित 'राज' साहब किसी एक व्यक्ति या एक नेता के रूप में न होकर एक एक उग्रवादी विचारधारा के रूप में एक गुस्सैल भीड़ की शक्ल अख्तियार कर चुके हैं ! हो सकता हो आपका भी कोई परिचित मुम्बई में केंद्र सरकार से सम्बंधित नौकरी की परीक्षा देने गया हो और उसे दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया हो .....मेरे भाई यह मुकरियाँ किसी एक 'राज' के लिए न होकर उपरोक्त  उग्रवादी विचारधारा के लिए हैं !  सस्नेह

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 23, 2012 at 11:30am

स्वागत है कुमार गौरव जी ! अनुमोदन के लिए बहुत-बहुत आभार अनुज ! सस्नेह

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 23, 2012 at 11:27am

जय हो जय हो आदरणीय अलबेला जी !

अत्यंत सुन्दर जवाबी कह मुकरियाँ रची हैं आपने !

//उत्तर दक्षिण पूरव पश्चिम

कान्हा,कोटे,केथी,कासिम 

करता नहिं वो  किसी से  लाज

क्या सखि लालू ? नहिं सखि राज//

इसमें 'क्या सखि लालू ? नहिं सखि राज/'

इसमें 'करता नहिं वो  किसी से  लाज' के स्थान पर 'कभी न आये उसको लाज' ! अधिक उपयुक्त रहेगा !

//क्षेत्रवाद संजीवन है जी

नेताओं का जीवन है जी

चाचाजी से पा लिया राज़

क्या सखि मोदी ? नहिं सखि राज//

इसमें भी प्रवाह की दृष्टि से 'चाचाजी से पा लिया राज़' के स्थान पर 'चाचाजी से पाया राज'  अधिक उपयुक्त लग रहा है !  

//मत बोलो  तुम उसे कसाई
वह भी इक नेता है भाई
उसके पीछे भी है समाज
क्या सखि उद्धव  ? नहिं सखि राज//

'उसके पीछे भी है समाज' के स्थान पर 'उसके पीछे चले समाज' कैसा रहेगा?

इन शानदार जवाबी कह मुकरियों के लिए पुनः बधाई मित्र ! जय हो.... जय हो...... आदरणीय

प्लेटफार्म पर सदा घसीटे

मारे दौड़ा दौड़ा पीटे

इम्तहान क्या दोगे आज ?

क्या वह पोलिस ? नहिं सखि राज !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 23, 2012 at 10:59am

आदरणीय उमाशंकर जी ! अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार ! सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 23, 2012 at 10:48am

आदरणीय अम्बरीश सर जी सादर नमन
क्या खूब कह मुकरियाँ कहीं हैं आपने सादर बधाई स्वीकार कीजिये

किन्तु किसी एक नेता विशेष पर संकुचित सी जान पड़ती हैं
जबकि इन नेताओं के जन्मदाता सारे आम लोग ही हैं
कवि की दृष्टि से इस संकुचित भावना से बचना चाहिए
किसी एक को आइना दिखा के हम सिमट नहीं सकते हैं

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 23, 2012 at 10:48am

सत्य वचन आदरणीय अग्रज अम्बरीश जी......सभी कह मुकरियां अच्छी हैं.....बधाई.....

Comment by Albela Khatri on August 23, 2012 at 10:17am

जय हो जय हो जय हो !

जब जब हैं आतंकी आये

बिल में चूहे सा घुस जाये  

खो जाए उसकी आवाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज!

आतंकी  पर ज़ोर न चलता

इस कारण उस ओर न चलता

डरता है वह देख के गाज

क्या वह पोलिस ? नहिं वह राज !

______________________

नाम जपे नित भाईचारा.

भाई को ही समझे चारा 

ऐसे झपटे जैसे बाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज!

भाईचारा भाईचारा
कैसे जाने वो  बेचारा
उसको केवल प्यारा ताज
क्या सखि टाटा ? नहिं सखि राज

______________________

खुराफात में जिसका है मन

जिसका उत्तर भारत दुश्मन

दबंगई नित जिसका काज

क्या सखि भाई? नहिं सखि राज !

उत्तर दक्षिण पूरव पश्चिम

कान्हा,कोटे,केथी,कासिम 

करता नहिं वो  किसी से  लाज

क्या सखि लालू ? नहिं सखि राज

______________________

लगता है थोड़ा सा खिसका

खानदान सिरफिरा है जिसका

क्षेत्र-वाद का छेड़े साज 

क्या सखि गोरा? नहिं सखि राज !

क्षेत्रवाद संजीवन है जी

नेताओं का जीवन है जी

चाचाजी से पा लिया राज़

क्या सखि मोदी ? नहिं सखि राज

______________________

वैसे तो वह बना कसाई

फिर भी है अपना ही भाई

दें सद्बुद्धि जिसे प्रभु आज

क्या सखि जालिम? नहिं सखि राज !

मत बोलो  तुम उसे कसाई
वह भी इक नेता है भाई
उसके पीछे भी है समाज
क्या सखि उद्धव  ? नहिं सखि राज

_______________________

हा हा हा हा ............वाह अम्बर जी ..........आनन्द आया आपकी कह-मुकरियों में..........

सादर

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 23, 2012 at 10:10am

वाह अनुज आपकी इसी बेबाकी के तो हम कायल हैं

आपने यहाँ  कहमुकरी के माध्यम से जो चित्र उकेरा है उसमे हर जगह राज सही बैठ रहा है

वैसे तो वह बना कसाई

फिर भी है अपना ही भाई

दें सद्बुद्धि जिसे प्रभु आज

क्या सखि जालिम? नहिं सखि राज ! यहाँ आपकी भावना ...आपकी सहृदयता को प्रदर्शित  कर रही है

हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service