For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे वनराज ! तुम निंदनीय हो !
अक्षम हो प्रजारक्षा में,
असमर्थ हो हमारी प्राचीन
गौरवपूर्ण विरासत सँभालने में ;
आक्रांता लाँघ रहे हैं सीमायें,
नित्य कर रहे हैं अतिक्रमण
हमारी भावनाओं का,
रौंद रहे हैं किसलयों को,
धधका रहे हैं दावानल,
नोच-नोच तोड़ रहे हैं घोंसले
सदियों से बसे खगों के,
आतुर हैं इस कानन को
नर्क बनाने के लिए ;
और तुम ! शांतचित्त मूक हो !
मात्र निर्विवाद होने की अभिलाषा से !
केवल तुष्टिकरण के लिए !
हे मृगेंद्र ! धिक्कार है तुमपर !
राजधर्म का पालन नहीं कर सकते
तो त्याग दो सिंहासन,
उतार दो ये मुकुट,
फेंक दो वो तलवार जो जंग खा चुकी है
बरसों से म्यान में पड़े-पड़े ;
हमें किंचित मात्र आवश्यकता नहीं
ऐसे शासक की,
हम पशु कर लेंगे अपनी सुरक्षा,
रह लेंगे अधिक सुख से
अपनी मातृभूमि पर,
अपने वन में, अपनी मांद में |

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 18, 2012 at 6:51am
आदरणीया सीमा जी, ये तुष्टिकरण की ही नीति है जो देश में कई कश्मीर और पाकिस्तान बना रही है। परंतु ये नीति आज की नहीं बल्कि पुरानी है। देश सबका है तो सबके अधिकार भी समान होने चाहिए। किसी एक वर्ग की असभ्यता को प्रोत्साहन क्यों?
प्रतिक्रिया देने के लिए आभार...
Comment by seema agrawal on August 18, 2012 at 12:52am

और तुम ! शांतचित्त मूक हो !
मात्र निर्विवाद होने की अभिलाषा से !
केवल तुष्टिकरण के लिए !.....................और ये तुष्टिकरण किसका ?क्या यह विवाद का विषय नहीं पर बात वही जिसकी लाठी .....................................................उसकी भैस ...

 

 

?

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 17, 2012 at 5:26pm
आदरणीया रेखा जी, आपका हार्दिक आभार। जिस वन का राजा अयोग्य हो, उसके पतन में अधिक समय नहीं लगता। ऐसे राजा का होना, उसके न होने से अधिक हानिकारक है।
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 17, 2012 at 5:21pm
आदरणीया राजेश जी, आपका हार्दिक आभार। आपका अनुमान शत-प्रतिशत सही है। आज असम अगर सुलग रहा है तो उसका कारण वो अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं परंतु महाराज उन्हें निकालने के बजाए विवशता से घिसे-पिटे भाषण दे रहे हैं। ऐसे शासक का क्या लाभ?
Comment by Rekha Joshi on August 17, 2012 at 5:01pm

हमें किंचित मात्र आवश्यकता नहीं
ऐसे शासक की,
हम पशु कर लेंगे अपनी सुरक्षा,
रह लेंगे अधिक सुख से
अपनी मातृभूमि पर,
अपने वन में, अपनी मांद में |,बहुत बढ़िया कटाक्ष गौरव जी ,बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 17, 2012 at 4:26pm

अगर मैं सही हूँ तो इशारा /कटाक्ष हमारे देश के राजा पर है ???बहुत जबरदस्त !! अगर प्रजा त्राहि त्राहि कर रही है और तुम उसकी रक्षा करने में असमर्थ हो तो मूक बधिर बने रहने से अच्छा है त्याग दो ये सिंहासन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service