For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परम मित्र दिनेश रविकर के जन्म-दिन पर ......

" बधाई – कुण्डलिया "


ओ.बी.ओ.  के फलक पर ,  देखा  है संदेश
मना रहे हैं जन्म-दिन ,  गुप्ता चंद्र दिनेश
गुप्ता  चंद्र  दिनेश  ,  कहे जाते हैं रविकर
वर्तमान  धनबाद  ,  फैजाबाद के कविवर
स्वस्थ-सफल हों आप,रहें हम सबके होके
अरुण बधाई देत ,मंच से ओ. बी. ओ. के ||

 

अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)

विजय नगर , जबलपुर (म.प्र.)

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHISH AWASTHI on August 15, 2012 at 12:31pm

मेरी भी शुभकामना रविकर जी को एक I
'रवि-कर' आलोकित करें सदा ह्रदय प्रत्येक II

Comment by रविकर on August 15, 2012 at 12:25pm

ओ बी ओ आभार है, मित्रों बारम्बार |
मिला आपका प्यार शुभ, बहुत बहुत आभार |
बहुत बहुत आभार, द्वार पर मेरे आये |
है जीवन का सार, मित्र सब सही बनाए |
हमें आप पर गर्व, आप की कीर्ति-पताके |
लहर लहर लहराय, पुत्र हे धरती माँ के |

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 12:14pm

मिले सुर मेरा तुम्हारा

प्रिय दिनेश रविकर जी को  जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामना

सुन्दर कुंडली ने जन्मदिन को हर्षोल्लासित कर दिया

प्रिय अरुण जी सादर बधाई

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ  कामना

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2012 at 11:42am
मेरी भी शुभ कामना उड़े पंख फैलाये 
भारत भूमि से सूरज तक 
'रविकर' दिनकर रौशनी लुटाये 
दोहे -कविता -छंद   मनोहर 
प्राण भरे  जन गण के मन में 
पापी भ्रष्टाचारी के मन 
शूल चुभें जीवन हर क्षण में 
सदा पडोसी रहें हमारे 
फ़ैजाबाद अवध वेला में 
हो सुगंध ब्लागिंग भी चमके 
भ्रमर मिलें नित नूतन रस ले 
बगिया हरी भरी हो महके 
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५ 
प्रतापगढ़ , अवध उ.प्रदेश 
अरुण जी आप का बहुत बहुत आभार -भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service