For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए 
नयना दुख-दुख नीर बहाए,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखि  साजन ? न सखी चश्मा l

2.
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? न सखी दर्पण l


3.
साथ बिताएँ रैन दोपहरी ,
बातें करता मीठी गहरी ,
नटखट भी और बुद्धिजीवी ,
ऐ सखि साजन ? न सखी टीवी l
4
आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग,कभी ज्वेलरी ,
ऐ सखि साजन ? न सखी सेलरी l

Views: 1120

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 5:09pm
कहमुकरियों को सराह प्रोत्साहन देनें के लिए हार्दिक आभार संजय मिश्रा जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 5:07pm
आपने  इन कह-मुकरियों को पसंद किया,  आपका आभार अरुण शर्मा जी.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 5:06pm

आपका हार्दिक आभार आ. रेखा जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2012 at 4:07pm

डॉ,प्रचिजी पहले तो सुन्दर,समर्थ और सशक्त' कह मुकरिया' पढने को मिली इसके लिए 

हार्दिक बधाई | एक कह मुकरिया में आपने लिखा है :

नज़र नज़र में ही बतियाए,देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,ऐ सखी साजन? न सखी दर्पण ल

इस सखी को जयपुर के कवी तारा दत्त निर्विरोध की इस पंक्तियों की ओरध्यान दिलावे 
तुम क्यों चेहरा देख रहे हो, तुम्हे कौन सी शंका है 
चेहरा तो वो देखा करते किनका रूप ढला करता है  
Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 5, 2012 at 4:05pm

बहुत बढ़िया कहमुकरियाँ कही आपने आदरणीया डा प्राची जी...

सादर बधाई स्वीकारें....

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2012 at 3:20pm

वाह कह -मुकरियाँ वो भी इतनी खुबसूरत क्या बात है प्राची जी, बहुत-२ बधाई स्वीकार करें

Comment by Rekha Joshi on August 5, 2012 at 12:37pm

आदरणीया डा प्राची जी ,

आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग,कभी ज्वेलरी ,
ऐ सखी साजन ? न सखी सेलरी ,अति सुंदर कह मुकरियाँ ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 11:36am
श्रद्धेय सौरभ पाण्डेय जी,
कहमुकरियों की मुक्तकंठ से सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार.
दुःख और दुख में कोई अंतर होता है, मुझे मालूम नहीं था, इस ज्ञान वर्धन के लिए हार्दिक आभार, दुःख संज्ञा है, और दुख क्रिया, ये अब मै ज़रूर ध्यान रखूंगी.
                      "लगता नहीं कि चश्मा आपकी ज़िन्दग़ी में इस कद्र प्रवेश कर गया है."
आदरणीय सर, मुझे चश्मा नहीं लगा है, अभी तक तो दृष्टि बिलकुल ठीक है....  इस सोच को सराहने के लिए आभार.
सादर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 11:28am

आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ला जी,

आपने इन कह्मुक्रियों को पसंद किया, इस हेतु आपका आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 11:27am
आदरणीय अशोक रक्ताले जी,
इन कह मुकरियों को पसंद कर उत्साह वर्धन करने के लिए हार्दिक आभार. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service