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हे मनुज! तुम दिया बनो
वो दिया...जो जलता है
प्रकाश के लिए, 
नवनिर्माण के लिए,
भटके को राह दिखाने के लिए,
प्रभु की आराधना के लिए,
हे आर्य! आत्मसात कर लो
इसके गुणों को,
अपना लो इसका स्वभाव,
प्रतीक बनो क्रांति के आगमन का,
सूचक हो परिवर्तन का,
मिटा दो अकेले
अंधकार के साम्राज्य को,
फैला सन्देश
तमसो मा ज्योतिर्गमय,
बन चलो
एक किरण आशा की,
जलाओ एक लौ
विश्वास और सजगता की,
पी जाओ विष भय का,
सोख लो सब कालिमा,
अग्रदूत बनो उजाले के,
निभाओ अपना धर्म,
अपने बुझने तक |

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 5:45pm

आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ल जी.........आपने बिलकुल सही कहा........लोग ऐसे बन जाएँ तो आनंद और आये........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद | जय श्री राधे |

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 5:35pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय संजय मिश्रा सर......स्नेह बनाये रखियेगा........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 5:33pm

स्वागत है मित्र अरुण शर्मा जी.......आपका हार्दिक आभार.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 5:30pm

आदरणीय रक्ताले सर....प्रेम भरी प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ.....स्नेह बनाये रखियेगा......

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 5, 2012 at 3:53pm

बहुत सुन्दर... वाह!

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2012 at 3:18pm

क्या बात है गौरव जी क्या खूब बयाँ किया है आपने मित्र

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 5, 2012 at 12:50am

मिटा दो अकेले

अंधकार के साम्राज्य को,
फैला सन्देश
तमसो मा ज्योतिर्गमय,
बन चलो
एक किरण आशा की,
जलाओ एक लौ
बहुत सुन्दर सन्देश देती जागृत करती रचना ...अजीतेंदु जी काश लोग ऐसे बन जाएँ तो आनंद और आये ....जय श्री राधे .....भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 5, 2012 at 12:00am

गौरव जी

             नमस्कार, नेक विचारों को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 4, 2012 at 5:43pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, आपकी छोटी सी प्रतिक्रिया प्रेम और भावना के विशाल समुद्र को अपनेआप में छुपाये हुए है...आपका बहुत-बहुत धन्यवाद......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 4, 2012 at 5:32pm

आदरणीया रेखा जी, दिया हमेशा प्रकाश ही देता है....कभी अँधेरे से दोस्ती नहीं करता......मनुष्य के लिए दिया अनुकरणीय है......आभार.....

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