For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी का ये चौराहा , अपने दम पर गर्वित हाथ फैलाये खड़ा ,कुछ इठलाकर , सोचे कि मंजिल दिखता है सबको राह बताता है । जिंदगी के इस चौराहे पर कितनी ही गाड़िया आती चली जाती हैं , फिर बचती है बस वो सूनी खाली राह , इंतज़ार में फिर किसी मुसाफ़िर के जो आयेगा और अपनी मंजिल पायेगा , बढता चला जायेगा । पर जब राह ही मालूम ना हो तो ये क्या आभास करायेगा , राह दिखाने का आभास या राह में अकेले खो जाने का आभास । क्या ये चौराहा अकेलेपन में चुभती उस साँस को कुछ आस दिलायेगा या देख उसे हँसता जायेगा , जोर से या मन ही मन उसका उपहास उड़ायेगा । सूनसान और अकेले उन रास्तों पर खो जाने का डर तो होगा पर एक विश्वास भी होगा उस चौराहे पर , जहाँ कोई तो आयेगा जो राह दिखायेगा , मंजिल दिलायेगा । पर ये चौराहा करता रहेगा इंतज़ार हर रोज नयी उम्मीद लिए नये मुसाफ़िरों का । - दीप्ति शर्मा

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 11:34pm

सादर

Comment by deepti sharma on August 2, 2012 at 9:13pm

आदरणीय सूर्या बाली   जी ,,, बहुत बहुत  शुक्रिया ,, अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा .. आभारी हूँ .

Comment by deepti sharma on August 2, 2012 at 9:12pm

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार  जी ,,, बहुत बहुत  शुक्रिया ,, अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा .. आभारी हूँ .

Comment by deepti sharma on August 2, 2012 at 9:11pm

आदरणीय अलबेला खत्री  जी ,,, बहुत बहुत  शुक्रिया ,, अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा .. आभारी हूँ

Comment by deepti sharma on August 2, 2012 at 9:11pm

आदरणीया रेखा जोशी  जी ..बहुत बहुत  शुक्रिया ,, अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा .. आभारी हूँ ..

Comment by deepti sharma on August 2, 2012 at 9:10pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी ..बहुत बहुत  शुक्रिया ,, अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा .. आभारी हूँ ..

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 2, 2012 at 11:11am

दीप्ति जी नमस्कार ! महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना "प्राण प्रिये "  के लिए बहुत सारी  बधाइयाँ  स्वीकार करें।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 1, 2012 at 11:54pm
आदरणीया दीप्ति जी महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना "प्राण प्रिये "  के लिए लख लख बधाइयाँ  आप यों ही और उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर बढती  रोशन करें समाज को ...
सुन्दर लघु कथा ...आइये चौराहे जैसा हम भी नयी उम्मीदों नए सपनो को साकार करने के लिए जुटे रहें ..........
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई  आप को और हमारे सभी प्रिय मित्रों को .
.प्रभु से प्रार्थना है कि ये भाई बहन का पर्व यों ही सदा सदा के लिए अमर रहे प्रेम उमड़ता रहे और बहनों की सुरक्षा के लिए हम सब के मन में जोश द्विगुणित होता रहे ...
आइये बहनों को सदा खुश रखें हंसे हंसाएं प्रेम बरसायें ...तो आनंद और आये ...
जय श्री राधे 
आप सब का 'भ्रमर'५ 
Comment by Albela Khatri on August 1, 2012 at 11:26pm

waah !

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 8:44pm

ये चौराहा करता रहेगा इंतज़ार हर रोज नयी उम्मीद लिए नये मुसाफ़िरों का ,बहुत खूब दीप्ति जी ,अति सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
7 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service