For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिमझिम बरस जाती हैं बूंदे
जब याद तुम्हारी आती है ।
बिन मौसम ही मेरे घर में
वो बरसात ले आती है ।
जब पड़ी मेह की बूंदे
मुस्कुराते उन फूलों पर
हर्षित फूलों पर वो बूंदे
तेरा चेहरा दिखाती है ।
नाता तो गहरा है
इन बूंदो का तुझसे
चाहे तेरी याद हो या
ये बरसात हो मुझे तो 
दोनों भिगो जाती हैं ।

- दीप्ति शर्मा

Views: 1021

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on July 9, 2012 at 1:07am

आदरणीय  आशीष जी शुक्रिया आपका बहुत बहुत आभार|

Comment by आशीष यादव on July 9, 2012 at 1:05am

सुन्दर भाव, और खासतौर पर ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी

नाता तो गहरा है 
इन बूंदो का तुझसे 
चाहे तेरी याद हो या 
ये बरसात हो मुझे तो  
दोनों भिगो जाती हैं । 

सुन्दर भावों पर बधाई स्वीकार कारिये

Comment by deepti sharma on July 9, 2012 at 1:03am

आदरणीय  प्रदीप जी  बहुत बहुत शुक्रिया आपको कविता पसंद आई ।

Comment by deepti sharma on July 9, 2012 at 12:50am

आदरणीय  हरीश जी बहुत बहुत शुक्रिया आपको कविता पसंद आई ।

Comment by Harish Bhatt on July 9, 2012 at 12:42am
Wah kya baat hai. Bahut accha
Comment by deepti sharma on July 9, 2012 at 12:14am

आदरणीय अरुण जी   आपका बहुत आभार अपना आशीष यूँही बनायें रखिये शुक्रिया|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 9, 2012 at 12:10am

बिन मौसम ही मेरे घर में
वो बरसात ले आती है ।

नाता तो गहरा है
इन बूंदो का तुझसे
चाहे तेरी याद हो या
ये बरसात हो मुझे तो 
दोनों भिगो जाती हैं ।

मौसम और विरह में सुंदर साम्य स्थापित हुआ है. कोमल भावना की बूँदें पढने वाले के मन को भिगोने  में सफल हुई हैं. हर्ष भी विरह की बदली से झाँक रहा है.

जब पड़ी मेह की बूंदे
मुस्कुराते उन फूलों पर
हर्षित फूलों पर वो बूंदे
तेरा चेहरा दिखाती है ।

बधाई हो...........

Comment by deepti sharma on July 9, 2012 at 12:09am

आदरणीय उमाशंकर जी  आपका बहुत आभार अपना आशीष यूँही बनायें रखिये शुक्रिया|

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 9, 2012 at 12:05am

बिन मौसम ही मेरे घर में
वो बरसात ले आती है ।....यह लाईन बहुत मार्मिक है दर्द भरी है

हर्षित फूलों पर वो बूंदे
तेरा चेहरा दिखाती है ।.....सुन्दर चित्रण प्रियतम के लिए यही प्यार है

चाहे तेरी याद हो या
ये बरसात हो मुझे तो 
दोनों भिगो जाती हैं । गहरा दर्द समटे हुवे है

हार्दिक बधाई दीप्ती जी आपकी खूबसूरत कल्पना पर

Comment by deepti sharma on July 8, 2012 at 11:50pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी,

आपका बहुत आभार अपना आशीष यूँही बनायें रखिये शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service