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दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले

दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले।
बेवफ़ा तुझको पुकारेंगे ज़माने वाले॥

प्यार में खाईं थी क़समें भी किए थे वादे,
क्या तुझे याद है कुछ मुझको भुलाने वाले॥

झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥

सर झुकाये हुए कूचे से निकल जाते हैं,
हैं पशेमान बहुत मुझको सताने वाले॥

बाद मरने के अब उस शख़्स की क़ीमत समझे,
जीते जी जिसको न पहचाने ज़माने वाले॥

दाग़ दामन के भी क्या अपने कभी देखे हैं,
मुझपे इल्ज़ाम सरे आम लगाने वाले॥

मैं दुवाओं से तेरी बच के आ गया लेकिन,
मर गए डूब के ख़ुद मुझको डुबाने वाले॥

फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥

मयकदा, रिंद, पैमाना सब आज रूठे हैं,
रूठे रूठे से है ये जाम पिलाने वाले॥

बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारो,
मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥

ये सिला देखो मोहब्बत में मिला है “सूरज”,
ठोकरें मुझको लगातें हैं ज़माने वाले॥

डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

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Comment

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Comment by Ajay Singh on June 22, 2012 at 4:29pm

क्या तुझे याद है कुछ मुझको भुलाने वाले       very nice..........

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 3:57pm

इस तरह तोड़ के दिल मेरा ए जाने वाले।
जा तुझे माफ़ किया दिल को दुखाने वाले॥

खुश रहे तू सदा .. क्या दिल पाया जनाब ने 

बधाई. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2012 at 11:49am

मैं दुवाओं से तेरी बच के आ गया लेकिन,
मर गए डूब के ख़ुद मुझको डुबाने वाले॥कोई जबाब नहीं आपकी ग़ज़ल का ...जबरदस्त ये शेर तो ल़ा आआअ जबाब है 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 22, 2012 at 10:57am

अच्छा लिखा आपने सूर्या जी.....बधाई.....

Comment by Sonam Saini on June 22, 2012 at 10:43am

Bahut khub sir ji. kamal likha h

Comment by yogesh shivhare on June 22, 2012 at 10:42am

झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥

खूबसूरत अल्फाजो से सजी हुई ग़ज़ल सूरज जी .बेहद उम्दा 

 

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