For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चीन से रहना हमें चौकन्ना बाबाजी

रामदेव से मिल गये  अन्ना बाबाजी

राहुल की माँ रह गई भन्ना बाबाजी

काला धन यदि सचमुच वापिस आया तो
भारत  फिर  से  बनेगा   धन्ना   बाबाजी

अब मैं  झटपट देश का पी. एम. बन जाऊं

मोदी   के  मन   जगी   तमन्ना  बाबाजी

ख़ून न चूसें, कह दो खादी वालों से
प्यासे हैं तो चूस लें  गन्ना बाबाजी

पाकिस्तान तो अपने घर का पप्पू है

चीन से रहना हमें चौकन्ना बाबाजी

हीरो  ये,   जो   तेल  न  बेचें  टी  वी  पर 
दिलीप कुमार औ राजेश खन्ना बाबाजी

थाली तो सोने की तुमने दिखलादी
खाते क्या हो  हीरा-पन्ना बाबाजी ?

राजपूताने का इतिहास समझ लोगे

पढ़ लो 'पन्ना' वाला पन्ना बाबाजी

जब से वोट दिया 'अलबेला' चम्पत है

किते गयां ओय मेरेया चन्ना बाबाजी 

Views: 860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:37pm

सम्मान्य श्री राम कृष्ण  खुराना जी,
आपकी सराहना के शब्द सर आँखों पर
सादर

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:27pm

आदर्य श्री उमाशंकर मिश्र जी, नमस्कार.
आपके स्नेहिल शब्दों  ने उत्साहवर्धन किया ...ऊर्जा दी...मैं ये सारी ऊर्जा बाबाजी की बैटरी  चार्ज करने में लगाऊंगा ...हा हा हा
आपका हार्दिक हार्दिक धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:24pm

आदरणीय अरुण कान्त शुक्ला जी,
टिपण्णी दर टिपण्णी आपका स्नेह पा कर अभिभूत हूँ......स्नेह  के लिए  आभारी हूँ ....
बहुत बहुत  धन्यवाद  .
सादर 

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:22pm

आदरणीय अरुण कान्त शुक्ला जी,
स्नेह  के लिए  आभारी हूँ ....
बहुत बहुत  धन्यवाद  .
सादर 

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:19pm

सम्मान्य  अरुण श्रीवास्तव जी,
आपकी टिपण्णी ने तो निहाल कर दिया ....
वाह वाह .....आभारी हूँ मन से............'मनसे' नहीं.....हा हा हा हा

Comment by Arun Sri on June 12, 2012 at 11:39am

पाकिस्तान तो अपने घर का पप्पू है
चीन से रहना हमें चौकन्ना बाबाजी .. हे हे हे ! समझ गए आपकी बात ! आपका पप्पू भी समझ जाता !

हीरो  ये,   जो   तेल  न  बेचें  टी  वी  पर 
दिलीप कुमार औ राजेश खन्ना बाबाजी ........ बहुत बढ़िया सर जी ! शाहरूख को सुना दीजिए !

थाली तो सोने की तुमने दिखलादी
खाते क्या हो  हीरा-पन्ना बाबाजी ?  ...... असरदार सवाल ! है कोई जो बता दे (और सर ऊँचा रखे )?

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 11, 2012 at 8:47pm

हीरो  ये,   जो   तेल  न  बेचें  टी  वी  पर 
दिलीप कुमार औ राजेश खन्ना बाबाजी  , वाह , राहुल की अम्मां रह गई भन्ना बाबाजी , बहुत सुन्दर व्यंग .. बधाई .

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 11, 2012 at 6:10pm

एक और ओए ओए..... ओए ओए .......

क्या बात है अलबेला जी बाबाजी से बम बरसवा रहे हो

किसी को नहीं छोड़ेंगे ये बाबाजी| सारे खद्दर धारियों

को जेब्रा धारी बना कर गन्ना तक चुसवा दिया प्रभु

सूरत में रहते हो ......हम यहाँ एक हज़ार किलो मीटर

दूर रहते हुवे मोदी से ....

माँ कहती है बेटा सो जा मोदी सुन लेगा

हर एक लाइन हास्य व्यंग से लदी हुई है

एक लाइन जिसमें हीरो तेल बेचता है उसमे

अभिताभ बच्चन का नाम जुडना था आजकल तेल वही बेचते हैं

बधाई बधाई बधाई.... जीते रहो अलबेला भाई

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 11, 2012 at 11:52am

ख़ून न चूसें, कह दो खादी वालों से
प्यासे हैं तो चूस लें  गन्ना बाबाजी

गन्ना से गुड है बनता  गुड से बनती चीनी 

चीन  पाकिस्तान एक से भैया जनता बड़ी कमीनी

एक तो अपने ही भाई  दूजे न क्या दोस्ती निभाई 

छुरा घोपते पीठ पीछे  गाते हिंदी चीनी  भाई भाई 

मैं प्रदीप  आप अलबेला  खूब लिखते भाई 

देता हूँ इस रचना पर लंबी चौड़ी बधाई 

Comment by Ram Krishna Khurana on June 10, 2012 at 10:28pm

पाकिस्तान तो अपने घर का पप्पू है 
चीन से रहना हमें चौकन्ना बाबाजी 

सुंदर  कविता 

राम कृष्ण खुराना 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
18 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service