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मेरी हाइकू - एक प्रयास

बना ब्लू लेन
कामनवेल्थ गेम्स
लगता जाम

- - - -

घर से निकले
ट्रैफिक में फँसे
अब इंतजार

- - - -


आया सावन
बरस जाता पानी
टपकी छत

- - - -


खिलती धूप
रौशनी में नहाते
झूमते पेड़

- - - -


आया सावन
बरस जाता पानी
टपकी छत

- - - -

खिलती धूप
रौशनी में नहाते
झूमते पेड़

- - - -

साँझ की बेला
पेड़ों के झुरमुट
लौटते प‌क्षी

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2010 at 10:07am
नीलम दीदी, हाइकु साहित्य का कठिन विधा माना जाता है, सिर्फ ५-७-५ के स्केल मे अपनी पूरी बात कह देना आसान नहीं होता, आपने बहुत ही सुंदर प्रयास किया है , बधाई आपको ,

कृपया ध्यान दे...

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