For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''दिन गर्मी के रंगीन''

मिल्कशेक और आम का पन्ना

नाच-नाच कर पीता मुन्ना 

दिन आये गर्मी के रंगीन 

पर हम शरबत के शौकीन l

एक दो तीन

हुई परीक्षा खतम कभी की

घर में छाई रहती मस्ती

उछल कूद कर मुन्नी हँसती

मम्मी सब पर रहे बरसती 

हर दिन होता दंगे का सीन l

पर हम शरबत के शौकीन l

तीन चार पाँच 

कुल्फी, शरबत और ठंडाई  

ठंडी रबड़ी और मलाई

सबने घर में डट कर खाई

भूल-भाल गये सभी पढ़ाई 

ना लगता कोई ग़मगीन l

पर हम शरबत के शौकीन l

छे सात आठ 

आँगन था काफी गरमाया   

क्यारी में बेला कुम्हलाया  

पानी से छिड़काव लगाया

सबने डेरा वहाँ जमाया

आई चाय और नमकीन l

पर हम शरबत के शौकीन l

मिल्कशेक और आम का पन्ना

नाच-नाच कर पीता मुन्ना 

दिन आये गर्मी के रंगीन 

पर हम शरबत के शौकीन l

-शन्नो अग्रवाल 

 

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 21, 2012 at 11:36am
इस गर्मी में ठंडी ठंडी कविता पढ़ कर मज़ा आ गया....
अब तो मन कर रहा है...जल्दी से ऑफिस से घर लौटूं और बस पहला काम ढेर सारा शरबत ही पियूँ...
शरबत के हम शौक़ीन...... वाह
हार्दिक बधाई...इस उमंग भरी कविता के लिए.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 21, 2012 at 9:29am

वाह वाह, गर्मी को रंगीन बनाने के लिए आभार, एक दो तीन को मैं पहले यह सोचा कि तुक मिलाने के लिए कुशन दिया गया है पर फिर तीन चार पाँच ......आदि का तुक नहीं समझ सका, इस बाल गीत को बाल स्वरुप में प्रस्तुत करने हेतु बधाई शन्नो दी |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 21, 2012 at 6:12am

वाह वाह .. धारा में प्रवाह वो कि गर्मी को बहा ले जाये. चुन-चुन कर वो हर कुछ खिलाया, पिलाया जो गर्मी खाते-पीते हैं. लेकिन मेरे खीरे, ककड़ी (बतिया), तरबूज और खरबूजे को अपनी सूची में शामिल न कर आपने उन्हें बहुत कष्ट दिया है. या फिर बेल ही लें, जिसको खाते भी हैं और घोल कर पीते भी हैं.

शन्नोजी, आपको इस बाल-गीत पर अतिशय बधाइयाँ.  यों, इसे थोड़ा कस देतीं तो रचना और प्रवहमान हो जाती. दूसरे, इस रचना को बाल-साहित्य समूह में रखना था.

Comment by Shanno Aggarwal on May 21, 2012 at 3:47am

जवाहर लाल जी, राजेश कुमारी जी एवं प्रदीप जी, आप सबको रचना पसंद आई इसके लिये साभार धन्यबाद. आपकी इन टिप्पणियों से मुझे भी बहुत राहत मिली. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 20, 2012 at 11:35pm

आदरणीय   agrvaal   ji   , सादर 

ग्रीष्म ऋतू ke  saare  paey आपने गिना diye 
सुन्दर रचना , बधाई  

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2012 at 9:35pm

गर्मी में आपकी कविता ही ठंडाई का कम कर रही है बहुत सुन्दर ...बधाई शन्नो जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 20, 2012 at 9:29pm

बहुत सुन्दर! गर्मी से सबलोग परेशान हैं आप की कविता राहत जरूर देगी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service