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जनाब हिलाल अहमद "हिलाल" के 5 कत'आत

//अर्ज़-ए-हाल//
हम अपनी जान किसी पर निसार कैसे करें,
तुझे भुला के किसी और से प्यार कैसे करें ,
तेरे बिछड़ने से दुनिया उजड़ गई दिल की,
इस उजड़े दिल को अब हम खुशगवार कैसे करें !

//सुराग़//
शब् भर हमारी याद में ऐसे जगे हो तुम,
आराम तर्क करके टहलते रहे हो तुम,
बिस्तर की सिलवटों से महसूस हो गया,
कुछ देर पहले उठ के यहाँ से गए ही तुम !

//माँ//
मेहनत के बावजूद जो पंहुचा मै अपने घर ,
वालिद का ये सवाल कमाया है तुने कुछ .
बीवी को और बच्चों को फरमाइशों की लत ,
बस माँ को ये ख्याल के खाया है तुने कुछ .

//पहली मुलाक़ात//
क़ल्ब ने पाई है राहत आप से मिलने के बाद,
हो गयी ज़ाहिर मोहब्बत आप से मिलने के बाद,
ये इनायत है नवाज़िश है करम है आपका,
बढ़ गयी है मेरी इज़्ज़त आप से मिलने के बाद !

//तनहा सफ़र//
दिल मुसीबत के टल नहीं सकते ,
हम भी किस्मत बादल नहीं सकते,
हम तखय्युल को साथ रखते हैं,
तुम तो हमराह चल नहीं सकते !

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 22, 2010 at 10:59pm
वाह वाह, हिलाल भाई जबरदस्त, आप ने तो हिलाने मे कोई कसार नहीं छोड़ी है , बहुत ही खुबसूरत कत'आत |

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