For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लगता है उसके पास कोई आईना नही

अपनी बुराइयाँ जो कभी देखता नही
लगता है उसके पास कोई आईना नही

गुलशन मे रहके फूल से जो आशना नही
उसका तो खुश्बुओ से कोई वास्ता नही

हम सा वफ़ा परस्त वतन को मिला नही
लेकिन हमारा नाम किसी से सिवा नही

मैं उससे कर रहा हू वफाओं की आरज़ू
जिस शक्स का वफ़ा से कोई राबता नही

तुम मिल गये तो मिल गयी दुनिया की हर खुशी
पास आने से तुम्हारे मेरे पास क्या नही

उनका ख्याल आया तो अशआर हो गये
अशआर कहने के लिए मैं सोचता नही

रहज़न हज़ार मिलते है राहो मे ऐ 'हिलाल'
अब हुमको रहबरी का कोई आसरा नही ,

Apni buraiyan jo kabhi dekhta nahi
Lagta hai uske paas koi aaina nahi

Gulshan me rehke phool se jo aashna nahi
Uska to khushbuo se koi wastaa nahi

Humsa wafa parast watan ko mila nahi
Lekin hamara naam kisi se siwa nahi

Mai usse ker raha hu wafao ki aarzu
Jis shaks ka wafa se koi raabta nahi

Tum mil gaye to mil gayi duniya ki har khushi
Paas aane se tumhare mere paas kya nahi

Unka khyaal aaya to ashaar ho gaye
Ashaar kehne k liye mai sochta nahi

Rehzan hazar milte hai raho me ai 'hilal'
Ab humko rehbari ka koi aasra nahi

Views: 363

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2010 at 8:44am
मैं उससे कर रहा हू वफाओं की आरज़ू
जिस शक्स का वफ़ा से कोई राबता नही,

बहुत खूब हिलाल साहिब, हिला कर रख दिया आपने, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , दाद कबूल कीजिये ,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 20, 2010 at 10:05pm
बहुत खूब हिलाल साहिब
आपका कौशल देखते ही बनता है|
बेहतरीन ग़ज़ल..मुझे मतला और मकता दोनों बड़ा पसंद आया|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service