For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात करियॆ,,,,
-------------------
साफ़गॊई सॆ आप यूं, सब सॆ बात करियॆ ॥
जिस सॆ भी करियॆ, अदब सॆ बात करियॆ ॥१॥


बॆ-वज़ह बात करना, भी मुनासिब नहीं,
मुनासिब हॊ जब सॆ, तब सॆ बात करियॆ ॥२॥


बात की बात मॆं, बनती बिगड़ती है बात,
किसी सॆ न कभी ,बॆअदब सॆ बात करियॆ ॥३॥


बात कॊ गॊल-मटॊल, न घुमाइयॆ ज़नाब,
हर एक कह रहा है, कब सॆ बात करियॆ ॥४॥


इतिहास औ भूगॊल, सुनानॆ सॆ क्या मज़ा,
आयॆ हैं आप जिस, सबब सॆ बात करियॆ ॥५॥


इस चार दिन की ज़िंदगी मॆं गुरूर कैसा,
दोस्त हॊ या दुश्मन, सब सॆ बात करियॆ ॥६॥


कत्लॆ-आम की इज़ाज़त नहीं दॆता कॊई,
आप चाहे जिस, मज़हब सॆ, बात करियॆ ॥७॥


तंज कसनॆ का इल्म, आना भी जरूरी है,
बुरा न लगे ऎसॆ, करतब सॆ बात करियॆ ॥८॥


बात करना या न करना, मर्जी है आपकी,

आप कॆ दिल मॆं आयॆ, जब सॆ बात करियॆ ॥९॥


गम कॆ हर पड़ाव पॆ, यही बॆहतर है "राज"
वक्त निकालियॆ और, रब सॆ बात करियॆ ॥१०॥



      कवि-राज बुन्दॆली,,
      ०३/०२/२०१२

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 4, 2012 at 3:53pm

धन्यवाद,,,गणॆश भाई,,,,,,,,,हृदय सॆ आभारी हूं आप का एवं ओ.बी.ओ. परिवार का,,,,,,,,,,,,,,,,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 4, 2012 at 3:32pm

वाह वाह कविराज, अच्छी ग़ज़ल पढ़ी है आपने, बात से बात निकाल अच्छे शेर पढ़े है , दाद कुबूल करें |

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 11:53pm

आप सभी कॊ प्रणाम करता हूं,,,,,

    आपका ,,,,,

 कवि-राज बुन्देली

--------------------------------------

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 11:51pm

अविनाश भाई साहब ,,,,,आपने तो इस रचना को धन्य कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,

आभारी हूं दिल सॆ आपका,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 11:50pm

दिलबाग जी,,,बहुत-बहुत शुक्रिया,,,,,,

और आप के कहन अनुसार मक्ता पेश है,,,,,,,

गम कॆ हर पड़ाव पर,यही बॆहतर है "राज"
वक्त निकालियॆ और, रब सॆ बात करियॆ ॥

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 11:47pm

आशुतोष जी बहुत-बहुत धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 11:47pm

आदरणीय,,,नीरज जी,,,आभारी हूं आपका,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by dilbag virk on February 3, 2012 at 9:10pm

उम्र कॆ इस पड़ाव पॆ,यही बॆहतर है "राज"
वक्त निकालियॆ और, रब सॆ बात करियॆ ॥ ---- आभी से ?

बहुत खूब

Comment by AVINASH S BAGDE on February 3, 2012 at 8:47pm

बात करियॆ,,,,
-------------------
साफ़गॊई सॆ आप यूं, सब सॆ बात करियॆ ॥
जिस सॆ भी करियॆ, अदब सॆ बात करियॆ ॥१॥..KYA BAT HAI.

बॆ-वज़ह बात करना, भी मुनासिब नहीं,
मुनासिब हॊ जब सॆ, तब सॆ बात करियॆ ॥२॥...WAH.

बात की बात मॆं, बनती बिगड़ती है बात,
किसी सॆ न कभी ,बॆअदब सॆ बात करियॆ ॥३॥..बात है.

बात कॊ गॊल-मटॊल, न घुमाइयॆ ज़नाब,
हर एक कह रहा है, कब सॆ बात करियॆ ॥४॥SAHI HAI.

इतिहास औ भूगॊल, सुनानॆ सॆ क्या मज़ा,
आयॆ हैं आप जिस, सबब सॆ बात करियॆ ॥५॥...मज़ा AAYA.

उम्र कॆ इस पड़ाव पॆ,यही बॆहतर है "राज"
वक्त निकालियॆ और, रब सॆ बात करियॆ ॥६॥.."राज" JI ,BAHUT KHOOB.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service