For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाइकू.

१-- चुनाव आया
नेताओं की बला से
    तनाव लाया!
***
२- ईमानदार
निभाना है मुश्किल
   ये किरदार!
***
३- ये गंगा-जल
हाँथ में रख कर
   सच उगल!
***
४- ये जिंदगानी
समय की नदी में
   बहता पानी.
***
५- विनाशकाले
विपरीत है बुद्धि
   जान बचा ले.
६-मूर्ख-अज्ञानी
दोस्तों से भला एक 
 दुश्मन -जानी.
७- मतदान ये
तेरा अधिकार  है
मत दान दे.
***
8- लिखे  हाइकू
सर खुजा के मियां
बोले काय कू?
***
अविनाश बागडे.

Views: 355

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 7:04pm

aabhar Rajesh kumari ji.

Comment by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 7:04pm

ok Gnesh ji BAGI....thanks.

 तीनों पंक्तियाँ एक-दूसरे से संपृक्त होती हैं...ok Saurabh ji....aabhar.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 29, 2012 at 3:01pm

आदरणीय बागडे साहब, कथ्य बहुत ही बढ़िया है, जैसा की आप जानते है हाइकु केवल ५-७-५ वर्णों का संयोजन मात्र ही नहीं है बल्कि शर्त यह भी है कि तीनों पक्तियां स्वतंत्र हो |

उदाहरण स्वरुप -- "मैं भी हाइकु लिखना जनता हूँ कल लिखूंगा"

अब इसे मैं तोड़ दूँ ------

मैं भी हाइकु

लिखना जनता हूँ

कल लिखूंगा

तो क्या यह हाइकु हुआ ?

ठीक उसी तरह

ये गंगा-जल

हाँथ में रख कर
सच उगल!
अब इसे यदि मैं एक साथ लिखूं तो ....."ये गंगा-जल हाँथ में रख कर सच उगल"

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 28, 2012 at 8:23am

 बहुत शानदार हाइकू 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 27, 2012 at 10:20pm

भाई अविनाशजी,  आपकी कोशिश अच्छी बन पड़ी है.  आपने शिल्प को बेहतर निभाया है. 

हाइकू के साथ एक बात और होती है - तीनों पंक्तियाँ एक-दूसरे से संपृक्त होती हैं और वे एक ही वाक्य के तीन टूकडे हैं ऐसा एकदम से प्रतीत नहीं होना चाहिये.  इस मानक पर रचनाकार को अपनी त्रिपदियाँ थोड़ा और कसने की आवश्यकता होती है.  आपने भी इसके लिये कोशिश की है.

प्रयासरत रहें, भाई जी.   सादर ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service