For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जगजीत सिंह को मेरी खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजली)

 क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है।

मुझे यूं ग़ज़ल से मुखातिब कराया,
तरन्नुम से मेरा जहाँ जगमगाया,
तुझे सुन मिरे दिल के अरमान जागे,
तूही चल दिया तोड़ कच्चे ये धागे,
सभी को गुज़रना है मुझको पता है,
मुझे पर तसल्ली नहीं हो रही है
क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है

खुदा ने गमों की वो आँधी चलाई
जिगर है शिकस्ता न तसकीन पाई,
सुकूँ तुझसे पाया कभी दिल जो टूटा,
तिरी शायरी सुन मिरा वक़्त बीता,
अदब का तुझी से समन्दर रवाँ था,
तू हामी ए उर्दू, तू शीरीं ज़बां था,
आलूद गौहर से सारी निगाहें,
के रूहे मुबारक तिरी सो रही है,
क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है।

मुसलसल-लगातार, शिकस्ता-हारे हुये, शीरीं ज़बाँ-मीठी बोली वाला, आलूद गौहर से-आँसू भरी।

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on October 16, 2011 at 3:32pm

सभी को गुज़रना है मुझको पता है,
मुझे पर तसल्ली नहीं हो रही है
क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है....very nice imran bhai...shandar.

Comment by इमरान खान on October 14, 2011 at 2:37pm

बेहद शुक्रिया @मोहतरमा लता साहिबा, @मोहतरम जनाब बागी साहब और @मोहतरम जनाब मापतपुरी साहब.

Comment by satish mapatpuri on October 14, 2011 at 12:37am

क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है

बहुत खूब इमरान साहेब .................. मखमली आवाज़ के ग़ज़लों के  बेताज बादशाह को मैं अपनी बिनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 13, 2011 at 9:28pm

इमरान भाई, सच कहा आपने, जगजीत सिंह को सुनने के बाद ही मुझ सहित कई मित्र अवश्य ही ग़ज़ल की तरफ आकर्षित हुए होंगे, श्रन्धांजलि स्वरूप यह नज्म सच में आँखों को भिगाने के लिए पर्याप्त है, गायकी की दुनिया ने एक बहुत बड़ा सितारा खो दिया है | ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे |

Comment by Lata R.Ojha on October 13, 2011 at 3:51pm

Ghazal se sabko waakif karaaya..nayi peedhi ko apna mureed banaaya ..aur chal diye..meri shraddhaanjali :)

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service