For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गौ माँ स्तुति (कनक मंजरी छंद )

जय जय संस्कृति स्तम्भ निवासिनि, दैव सुवासिनि हे शुभमा !
जय जय हे पुरुषार्थ प्रकाशिनि, व्याधि विनाशिनि मातु रमा !
.
जय जय हे मणि ! वारुणि ! रोहणि ! हे शिवि ! वैष्णवि ! हे ऋषभा !
जय पितरेश्वरि ! धेनु ! बृजेश्वरि ! नन्दनि ! वन्दनि ! हे सुप्रभा !
.
क्षुधित सुपोषिणि तृष्णित तोषिणि, क्षीर पयस्विनि मातु नमम्
अगद प्रदायिनि श्री मति दायिनि, धर्म यशस्विनि मातु नमम्
.
शत शत वंदन देव सुपूजित, पावनि विग्रह माँ ललिता !
नत अभिनन्दन पुण्य प्रभाविनि, आत्म प्रकाशिनि माँ त्वरिता !
.
ऋषि मुनि पूजित, स्वर्ग विराजित, भक्ति स्वरूपिणि हे नवधा !
चहुँ दिशि रक्षित मंजुल लक्षित, वंदन हे निधि ! हे अवधा !
.
सुभग सुरम्य सुरूप सुशोभिनि, सौम्य स्वरूपिणि स्वर्गमयी
अय हरसिद्धि प्रसिद्धि प्रदायिनि, वंदन वन्द्य विसर्गमयी
.
अभिनत वंदन पूज्य पवित्रिणि, पंचक गव्य प्रदायिनि माँ
नितअभिनंदन यज्ञ घृतामृत, पावन द्रव्य प्रदायिनि माँ
.
सत रज बोधिनि मारुत शोधिनि, प्रज्ञ प्रबोधिनि माँ शुभदा
विपद विनाशिनि संकट नाशिनि, व्याधि प्रनाशिनि माँ फलदा
.
जय विजया ! कृतिका ! त्रिकुटा ! मणि ! हे श्रुति पूजित वेदित माँ
नवल सुगन्धित पुष्प समर्पित माणिक रत्न निवेदित माँ
.
विनत निवेदित छंद प्रबंधित, अर्पित अन्वय भाव अहे
चरण सुवंदन हे परमेश्वरि, वैतरणी तर मातु महे
.
श्रुति अभिनंदिनि जप्य प्रनंदिनि, गौ गरिमा अति गुण्यमयी
उपनिषदादि सुपूजित वन्दिनि, गौ महिमा अति पुण्यमयी
.
ॐ शिव
(मौलिक एवम अप्रकाशित)
No photo description available.

Views: 354

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2022 at 8:53pm

आदरणीया प्राचीजी, आपकी प्रस्तुति से यह पटल धन्य हुआ.

इस कष्टसाध्य छंद ’कनकमंजरी’ पर अभ्यास किया जाना पटल की गरिमा के अनुकूल तो है ही, प्रस्तुत अभ्यास सुप्रेरक भी है. तिसपर रचना की भाषा आपने संस्कृत का सरल रूप रखा है, जिसमें माता की शुभ-सज्ञाओं का सुरूचिपूर्ण संकलन विमुग्ध कर रहा है. 

मैं अकसर भाव विभोर होकर महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र का श्रवण करता हूँ, जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

आपके प्रस्तुत निर्दोष अभ्यास से मन असीम आनन्द से भर गया है.  

 

वस्तुतः, इस छंद का विन्यास भी दे दिया जाना था. ताकि अभ्यासकर्मी सहज रूप से लाभान्वित हो सकें. 

मैं आपकी प्रस्तुति के माध्यम से कनकमंजरी छंद का विन्यास दे रहा हूँ - (लघु X 4) + (भगण X 6) + गुरु

आपकी रचनाधर्मिता पर माँ शारदा का आशीष बना रहे. 

शुभातिशुभ

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 14, 2022 at 8:19am

आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन। अति उत्तम रचना हुई है। बहुत बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
16 minutes ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service