For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माधव मालती छन्द, नारी शौर्य गाथा

कष्ट सहकर नीर बनकर,आँख से वो बह रही थी।
क्षुब्ध मन से पीर मन की, मूक बन वो सह रही थी।


स्वावलम्बन आत्ममंथन,थे पुरुष कृत बेड़ियों में।
एक युग था नारियों की,बुद्धि समझी ऐड़ियों में।

आज नारी तोड़ सारे बन्धनों की हथकड़ी को,
बढ़ रही है,पढ़ रही है,लक्ष्य साधें हर घड़ी वो।


आज दृढ़ नैपुण्य से यह,कार्यक्षमता बढ़ रही है।
क्षेत्र सारे वो खँगारे, पर्वतों पर चढ़ रही है।

नभ उड़ानें विजय ठाने, देश हित में उड़ रही वो,
पूर्ण करती हर चुनौती हाथ ध्वज ले बढ़ रही वो।


संकटों में कंटकों से है उबरती आत्मबल से,
अब न अबला पूर्ण सबला विजय उसकी शौर्यबल से।

राष्ट्र सेवक मार्गदर्शक हौंसलों के पर लगाये,
अड़चनों से दुश्मनों के होश देती वो उड़ाये।


शान भी अभिमान भी वह देश का सम्मान नारी,
आज कहता विश्व सारा है गुणों की खान नारी।।
★★★★★★★★★★★★★★

यह मापनी आधारित मात्रिक छन्द है।
इसकी मापनी निम्न है-
2122 2122 2122 2122
चूंकि यह मात्रिक छन्द है अतः गुरु वर्ण (2) को दो लघु (11) में तोड़ा जा सकता है।
इसके चार चरण होते हैं, जिनमें दो-दो या चारों चरण समतुकांत होने चाहिए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on June 2, 2021 at 7:50am

आपने रचना को मान दिया, हार्दिक आभार आशीष यादव जी।

Comment by आशीष यादव on June 1, 2021 at 11:14pm

बहुत सुंदर रचना हुई है

Comment by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on June 1, 2021 at 1:55pm

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार लक्ष्मण धामी जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2021 at 10:37am

आ. सुचिसंदीप जी, माधवी छंद में सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ सारे चैनल देखिए, पढ़िए सब अखबार्। योग शक्ति को मानता, अब सारा संसार॥ अब सारा…"
27 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ कहता है यह प्यार से,बात पते की चित्र।  सेहत की कुंजी मिले, बने…"
50 minutes ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service