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बह्र - मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम

अरकान - 122 122 122 122

किसी को मुकम्मल जहाँ देने वाले

किसी को नया आसमां देने वाले

                    **

कि बहती हवा ज़ह्र ही कर रहे हैं

बुझाकर युँ लौ को धुआँ देने वाले

                    **

मिटाकर सभी कुछ ख़तम कर रहे हैं

ये हर बे मकां को मकां देने वाले

                    **

कहानी में झूठे लिबासों के मुआफ़िक

ग़ज़ब कर रहे हैं ज़ुबाँ देने वाले

                   **

दुआ की जगह पर वबा की फ़ज़ा है

ये क्या कर रहे हैं अमाँ देने वाले

                  **

तमाशा है लेकिन "मदारी" नहीं है

कहाँ छुप गये हैं कमाँ देने वाले

                    **

अदब से तुझे सर झुकाते हैं "आज़ी"

मुबारक हो तुझको ओ जाँ देने वाले.................. 

                 

(मौलिक व अप्रकाशित) 

आज़ी तमाम........... 

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Comment

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Comment by Aazi Tamaam on February 22, 2021 at 9:36am

सादर प्रणाम आदरणीय ब्रजेश जी

माफ़ी चाहूँगा इस ग़ज़ल में ऐब ए तनाफुर स्वीकार करें इसके लिये कुछ उदाहरण पेश हैं

जनाब ए जोन एलिया

क्या हो गया है गेसू-ए-ख़मदार को तिरे

आज़ाद कर रहे हैं गिरफ़्तार को तिरे

खालिद ख्वाज़ा

तुम्हारे शहर में क्या कर रहे हैं मेरे लोग

गली गली से मिरा आश्ना निकलता है

किताब- पयाम ए रहबर

रचनाकार- जितेंद्र मोहन सिन्हा रहबर

बुरा कर रहे हैं तिरा नाम ले कर

ख़ता कर रहे हैं तुझे याद कर के

किताब- भाषा संगम

रचनाकार- परवेज़ शाहिदी

शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से

न देखा जाएगा अब सू-ए-संग-ए-आस्ताँ मुझ से

है कल की बात शर्मिंदा था हुस्न-ए-राएगाँ मुझ से

ये जल्वे माँगते थे इक निगाह-ए-मेहरबाँ मुझ से

नज़र रख कर क़नाअत कर रहा हूँ मैं तसव्वुर पर

ये जल्वे चाहते हैं और क्या क़ुर्बानियाँ मुझ से



धन्यवाद

Comment by Aazi Tamaam on February 18, 2021 at 10:29pm

सादर प्रणाम आदरणीय ब्रजेश जी

ह्रदय से धन्यवाद हौसला अफ़ज़ाई के लिये

अंतिम शैर में दोष है चौथे में जहाँ तक मेरे ध्यान में पड़ता है तगाबल ए रदीफ़ दोष नहीं है बाकी तो गुरुजन ही बता सकते हैं...... 

धन्यवाद

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2021 at 9:44pm

भाई भाव तो अच्छे हैं लेकिन दोषपूर्ण है।तमाम जगह "कर रहे" हैं में एब-ए तनाफुर है इसके अलावा चौथे और आखरी शे'र में रदीफेन दोष भी है। बाकी गुरुजन प्रकाश डालेंगे।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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