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सुप्रभात दोहे 2.

सुबह सुहानी आ गई  ,लेकर शुभ सौगात |
अधर पर मुस्कान लिए, प्यार बसे दिन रात||

पूरे हों सपने सभी ,रहो न उनसे दूर |
गम का ना हो सामना ,ख़ुशी मिले भरपूर||

तारे सारे छुप गए ,आई प्यारी भोर |
आँगन खुशिओं से भरे ,मनवा नाचे मोर||

सुखद सन्देश जो मिले ,अधर आय मुस्कान| 
खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान||

पुष्प सी मुस्कान लिए ,रहो हमेशा पास |
होना ना उदास कभी क्योंकि आप हो ख़ास||

रविवार का दिवस अभी ,करलो आज विश्राम| 
बाकी कल सब देखना,रह गय हैं जो काम||

रविवार का दिवस गया, छोड़ो अभी विश्राम| 
पूरे करलो अब सभी, छूट गए जो काम||

भोर सुहानी दे गई ,खुशिओं का पैगाम |
हर दिन ही लाये ख़ुशी ,करलो ऐसे काम ||

         ...........मौलिक व अप्रकाशित ...............

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Comment by रविकर on July 4, 2013 at 10:08pm

यह दूसरी किश्त
बहुत बढ़िया है आदरेया -

भई भोर भागा भरम, भट भल-मानुष भूप |
हुवे कर्मरत जंतु कुल , पर उल्लू को धूप |

कृपया ध्यान दे...

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