For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीनियर अफसर के साथ हुई बातचीत अभी भी उसके कॉकपिट में गूँज रही थी। "तुम्हें बम उन पहाड़ियों के बीच स्थित दुश्मन के अड्डे पर गिराना है।"

और देशवासियों की भी। "उन पापियों का नामोनिशान मिटा दो!"

अजय बचपन से ही वायुसैनिक बनना चाहता था और इलिशा एक शिक्षिका। साथ पढ़ते-पढ़ते दोनों कब एक दूसरे के प्यार में डूब गए उन्हें पता ही नहीं चला। "तुम हमेशा मुझे ऐसे ही चाहोगे?"

"हाँ।" अजय ने इलिशा को गले लगाते हुए कहा।

पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था। इलिशा अपने घर वालों के ख़िलाफ़ नहीं जा पायी। उसकी शादी सरहद के दूसरी तरफ किसी और से हो गयी, पहाड़ियों के बीच स्थित उसी गाँव में जहाँ अजय को आज बम गिराने का निर्देश मिला था।

"जब भी मेरी याद आये, चाँद देख लेना। तुम यहाँ से देखना और मैं वहाँ से, रोज रात दस बजे। इस तरह हम हमेशा साथ रहेंगे।" बिछड़ते वक़्त इलिशा ने रूंधे गले से कहा।

पहाड़ी नज़दीक थी। जैसे-जैसे वह उसके पास पहुँच रहा था वक़्त की रफ़्तार ठहर रही थी। थोड़ी ही देर में वह बिलकुल उसी जगह पर था जहाँ उसे होने का निर्देश दिया गया था। घड़ी में ठीक दस बजे थे। उसके हाथ बम गिराने के लिए आगे बढ़े। उसने एक बार आसमान की तरफ देखा। चाँद बादलों के बीच छुपने की कोशिश कर रहा था। और फिर नीचे की तरफ। जलती लाशों के बीच काँपता हुआ एक गुलाब चाँद को देख रहा था। उसने बम गिरा दिया।

इसके बाद उसने अपने जहाज की गति बढ़ा दी और वहाँ से दूर एक निर्जन पहाड़ी में ले जा कर उसे क्रैश कर दिया।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 2, 2017 at 11:05pm
आदरणीय धन्यवाद ।
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 10:52pm
आदरणीय योगराज सर को किये गए मेरे पिछले कमेण्ट में भूल से "आदरणीय" की जगह "आदरणीया" हो गया है। मैं इसके लिए हृदय से क्षमाप्रार्थी हूँ। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 9:14pm
आदरणीया कल्पना जी, रचना अच्छी लगी, आपका हार्दिक आभार। यदि आप इस कहानी में किन्हीं दो दुश्मन देशों को रखेंगी तो बात स्पष्ट हो जाएगी जैसे भारत-पाक। क्या भारत से पाक में शादियाँ नहीं होतीं? उम्मीद है बात स्पष्ट हुई होगी। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 9:11pm
आदरणीय समर कबीर सर, आदाब। लघुकथा को पसंद करने के लिए आपका हृदय से आभार। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 9:09pm
आदरणीया योगराज सर, दरअसल गलती मुझसे ही हो गयी। मैंने पहले संवाद में "दुश्मन देश के अड्डे" की जगह //दुश्मन के अड्डे// लिख दिया पर ज़हन में "दुश्मन देश" ही था। इसलिए मुझे लगा बात स्पष्ट थी। आपके इन दोनों सुझावों और त्वरित स्पष्टीकरण के लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। आपने कहानी को बेहतर बनाया है। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 2, 2017 at 8:49pm
आदरणीय कथा बहुत बढ़िया हुई है । एक जगह थोडा कन्फ्यूज़ हो रही हूँ ।
इलिशा अपने घर वालों के ख़िलाफ़ नहीं जा पायी। उसकी शादी किसी और से हो गयी, पहाड़ियों के बीच स्थित उसी गाँव में जहाँ अजय को आज बम गिराने का निर्देश मिला था।

यह जगह तो दुश्मनो वाली हुई न ? कृपया अन्यथा न लीजियेगा । सादर ।
Comment by Samar kabeer on January 2, 2017 at 8:35pm
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब योगराज प्रभाकर साहिब की बात से सहमत हूँ ।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 2, 2017 at 8:18pm

भाई महेंद्र कुमार जी ज़ाहिर सी बात है कि कोई सेना अपने मुल्क पर तो बमबारी करने से रहीI
"सरहद की दूसरी तरफ" यानि दूसरे देश मेंI मैंने यह बात शादी की जगह अस्पष्ट करने हेतु नहीं बल्कि स्पष्ट करने हेतु कही थी I

Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 8:13pm
आदरणीय योगराज सर, आपने रचना पर उपस्थित हो कर उसका मान बढ़ाया, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपका दूसरा सुझाव मुझे बेहद पसन्द आया। यदि आप पहले के विषय में थोड़ा विस्तार से (आख़िर क्यों इलिशा की शादी की जगह को अस्पष्ट रखा जाए) बताएँगे तो अति कृपा होगी। आपका हार्दिक आभार। सादर।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 2, 2017 at 8:05pm

लघुकथा बहुत अच्छी लगी भाई महेंद्र कुमार जी, बधाई प्रेषित हैI दो सुझाव, यदि पसंद आयें तो:

1. एलिज़ा की शादी सरहद की दूसरी तरफ बताई जाए.

2. जहाज़ क्रेश हो, मगर बम गिराने के बाद.       

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service