ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )
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फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल
ख़बर थी किसे एसा कर जाएगा |
वो वादे से अपने मुकर जाएगा |
न अब और ले इम्तहाने वफ़ा
ये दीवाना हद से गुज़र जाएगा |
चला तीर तिरछी नज़र का अगर
बचाएँगे दिल तो जिगर जाएगा |
बपा हश्र हो जाएगा उस जगह
वो जिस रास्ते पर ठहर जाएगा |
करेगा सितम के जो दौरान उफ़
निगाहों से उनकी उतर जाएगा |
सितमगर की महफ़िल का दस्तूर है
अगर कोई बोला तो सर जाएगा |
ख़याले सनम ही वो तस्दीक़ है
जो दिल से नहीं उम्र भर जाएगा |
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
जनाब सुनील प्रसाद साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
मुहतरम जनाब समर साहिब आदाब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---
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