For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठठरी पर ईमानदारी /लघुकथा /कान्ता राॅय

ईमानदारी जरा चोटिल ही हुई थी कि मौके का फायदा उठा कुछ लोगों ने उसे निष्प्राण घोषित कर तुरत - फुरत में ठठरी पर कसने लगे । उन्हे डर था उसके वापस जिंदा हो गतिमान होने का ।
जिन चार कंधों पर उसकी अर्थीं उठाई जा रही थी उनमें सबसे आगे देश के कर्णधार थे उसके पीछे भ्रष्टाचार , देश के सफलतम व्यवसाई और शेयर दलाल थे ।
सबकी आँखें चमक रही थी । सबके मन में लड्डू फूट रहे थे कि पीछे रोती हुई जनता अचानक खुशी के मारे तालियाँ बजाने लगीं ।
तालियों की शोर पर काँधे देने वालों ने चौंक कर देखा तो ईमानदारी सारी रस्सी तोड़कर उठ बैठी थी ।
.
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on August 6, 2015 at 1:51pm
जोरदार लघुकथा आ कान्त जी ।सच्चाई कभी नहीं मरेगी ।
Comment by pratibha pande on August 6, 2015 at 1:36pm

इमानदारी को चार कंधों पर लादने की जिन्हें जल्दी होती है ,उन्हें पता है कि अगर ये नहीं गई तो उनकी शानो शौकत चार कंधों पे चढ़ हमेशा के लिए चल देगी , बधाई इस सशक्त रचना के लिए आ० कांता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 6, 2015 at 1:08pm

बिम्बों के माध्यम से बहुत सुन्दर सन्देश दिया है आ० कांता जी इस लघु कथा में सच कहा जिस दिन इमानदारी पूर्णतः समाप्त हो जायेगी तो समझो सर्वनाश दूर नहीं |हार्दिक बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर |

Comment by Dr. (Mrs) Niraj Sharma on August 6, 2015 at 1:01pm

ईमानदारी को ठ्ठरी पर डाल कर ले जाना इतना भी आसान नहीं है, अनेक कोशिशों के बावजूद भी, वो बार बार उठ बैठती है, तभी तो दुनिया टिकी है अब तक। सुन्दर लघुकथा। बधाई आ. कान्ता जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 6, 2015 at 12:32pm

आदरणीया कांता जी, बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service