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रात का दूसरा पहर 

दूर तक पसरा सन्नाटा और
गहरा कोहरा
टिमटिमाती स्ट्रीटलाइट
जो कोहरे के दम से
अपना दम खो चुकी है लगभग
कितनी सर्द लेहर लगती है
जैसे कोहरे की प्रेमिका
ठंडी हवा बन गीत गाती हो
झूम जाती हो
कभी कभी हल्के से
कोहरे को अपनी बाहों में ले
आगे बढ़ जाया करती
पर कोहरा नकचढ़ा बन वापस
अपनी जगह आ बैठता
ज़िद्दी कोहरा प्रेम से परे
बस अपने काम का मारा
सर्द रात में खुद का साम्राज्य
जमाये है हर तरफ
गली, दुकान, बड़े और
छोटे मकान, पेड़, पौधे
और सड़कों कि स्ट्रीटलाइट
पर जमा बैठा है
सारे लोगों को ठिठुरा कर
घर भेज दिया...

सोचती हूँ 

क़ाश ये कोहरे जैसा भी कुछ
मन में भी होता जो
मन की सड़को से
चिन्ताओं को ठिठुरा कर
वापस समय में विलीन कर देता
और मन को खुद से ढक कर
एक सुकून भरी रात तो देता मुझे
काश!!!.......

(मौलिक एव अप्रकाशित)

प्रियंका.......

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Comment

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Comment by Priyanka singh on December 17, 2013 at 11:01pm

आदरणीय विजय सर जी ....आपको रचना पसंद आयी ....मेरा मन प्रसन्न हुआ....सराहना के लिए तहे दिल से आभार सर .....

Comment by Priyanka singh on December 17, 2013 at 11:00pm

राम जी पसंदगी का शुक्रिया ........

Comment by Priyanka singh on December 17, 2013 at 11:00pm

आदरणीय शिज्जु जी रचना की सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.....

Comment by Priyanka singh on December 17, 2013 at 10:46pm

आदरणीय बागी सर जी  .....रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ सर ……

Comment by Priyanka singh on December 17, 2013 at 10:31pm

बैद्य नाथ जी ....रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार....

Comment by Priyanka singh on December 17, 2013 at 10:19pm

हौंसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया मानव जी ......

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:58pm

आo कुंती जी आपकी पसंदगी का बहुत बहुत आभार ......

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:56pm

आदरणीय सर गोपाल नारायन जी.....आपकी सरहना स्वरुप मुझे जो आशीर्वाद मिला, मन आल्हादित हुआ...हार्दिक धन्यवाद.....

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:50pm

आo तपन जी आपकी सराहना पा कर मुझे भी बहुत अच्छा लगा .......रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार....

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:42pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ......

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